कोलकाता.
महानगर की निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की ओर से पहल की गयी है. महानगर में ब्रिटिश कालीन ड्रेनेज सिस्टम पर ही निगम की जलापूर्ति व्यवस्था निर्भर है. ऐसे में निकासी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए निगम के सीवरेज व ड्रेनेज विभाग की ओर से 13 खालों की ड्रेजिंग की जायेगी, ताकि, इन खालों में जल धारण करने की क्षमता बढ़ायी जा सके. तीन अप्रैल से यह काम शुरू होगा. यह जानकारी निगम के सीवरेज व ड्रेनेज विभाग के एमआइसी तारक सिंह ने दी. मंगलवार को श्री सिंह ने एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें निगम के ड्रेनेज विभाग के डायरेक्टर जनरल (डीजी), डीजी सिविल, निगम तीन बोरो के चेयरमैन और कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना के अलीपुर सदर के एसडीओ व पंचायत सदस्य उपस्थित थे. श्री सिंह के नेतृत्व में बैठक करीब एक घंटे तक चली. बैठक के बाद तारक सिंह ने बताया कि जल निकासी के लिए कोलकाता के 13 खालों की ड्रेजिंग की जायेगी. ये खाल मुख्य रूप से वार्ड 142, 143 और 144 में स्थित हैं. उन्होंने बताया कि ड्रेनेज विभाग के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन से 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिसमें से 150 करोड़ निगम को मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र से प्राप्त राशि से कोलकाता में ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन, नहरों की ड्रेजिंग सह कोलकाता में 54 जगहों पर रिचार्ज पिट तैयार किये जायेंगे. इसके अलावा महानगर में सेंसर लगाये जायेंगे, जिनकी मदद से किस क्षेत्र में कितनी बारिश हुई का स्पष्ट पता चल सकेगा. श्री सिंह ने कहा कि महानगर में जल निकासी व्यवस्था के माध्यम से जल संचय की समस्या के समाधान के लिए छह कनेक्टिंग खालों को चोरियाल खाल से जोड़ा जायेगा. तारक सिंह ने बताया कि लगभग 30 किलोमीटर तक खालों की ड्रेजिंग की जायेगी. उन्होंने बताया कि महानगर के इन 13 खालों को छोड़ अन्य खालों की ड्रेजिंग सिंचाई विभाग कर रहा है. कोलकाता के 142 और 143 वार्ड स्थित 3,040 मीटर लंबे चोरियाल खाल, वार्ड 144 स्थित बेगोर खाल से चोरियाल खाल तक 2,620 मीटर, बकराहाट रोड खाल से चोरियाल खाल 1,715 मीटर, नेताजी खाल से रानिया खाल 2,110 मीटर, सोनामुखी खाल से चोरियाल खाल 3,360 मीटर तक यानी ऐसे कुल 13 खालों की ड्रेजिंग की जायेगी. इसके अलावा, कोलकाता के भूजल स्तर बढ़ाने के लिए 54 रिचार्ज पिट तैयार किये जायेंगे. यह भूजलस्तर को बढ़ाने में सहायक साबित होगा.इसके अलावा कोलकाता की निकासी व्यवस्था को दुरुस्त किये जाने के लिए पांच जगहों पर स्थित तालाबों की जल धारण क्षमता भी बढ़ायी जायेगी. यह व्यवस्था भी की जायेगी कि भारी बारिश के दौरान सड़कों पर जमने वाले पानी की निकासी तालाबों में की जा सके.
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