प्रभात खबर की मुहिम को मिली सफलता पर लग गयी सरकारी मुहर, जारी हुई संशोधित अधिसूचना
15 मार्च 2023 को सरकार ने डब्ल्यूबीसीएस के सिलेबस और पैटर्न में किया था बदलाव, गजट नोटिफिकेशन जारी कर पुराने पैटर्न को ही किया गया बहाल
शिवशंकर ठाकुर, आसनसोलपश्चिम बंगाल सिविल सर्विसेज (डब्ल्यूबीसीएस) के मुद्दे पर प्रभात खबर की मुहिम को मिली सफलता पर आखिरकार सरकारी मुहर लग गयी. कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (पार) पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से 17 जून 2025 को अधिसूचना जारी कर पुराने नियम व पद्धति को बहाल कर दिया. इसमें मेन परीक्षा के कंपलसरी पेपर एक में बांग्ला/हिंदी/उर्दू/नेपाली/संताली भाषा में लेटर राइटिंग, ड्राफ्टिंग रिपोर्ट, प्रेसिस राइटिंग, कम्पोजिशन, अंग्रेजी से उक्त पांच भाषाओं में से किसी एक में अनुवाद करना और पेपर दो में उक्त पांच भाषाओं में से किसी एक भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद करने के पुराने पैटर्न को लागू किया गया. अधिसूचना जारी होने के बाद हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि इससे पहले 11 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नबान्न में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में घोषणा करने के बाद भी यह लागू नहीं हुआ और 24 जुलाई 2024 को संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन में 15 मार्च 2023 को नये नियम व पद्धति को लेकर जारी नोटिफिकेशन को ही बहाल रखा गया. जिसके आधार पर पश्चिम बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन ने डब्ल्यूबीसीएस (एक्जीक्यूटिव) परीक्षा 2025 के लिए नया स्कीम और सिलेबस भी जारी कर दिया. इस मुद्दे को लेकर पिछले दो वर्षों से जारी प्रभात खबर की मुहिम और भी तेज हो गयी. आसनसोल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी इस मुहिम में शामिल होकर अग्रणी भूमिका निभायी. आखिरकार सरकार को अपने निर्णय से पीछे हटना पड़ा और 28 मई को एक प्रेसनोट जारी करके बताया गया कि डब्ल्यूबीसीएस (एक्जीक्यूटिव) परीक्षा को लेकर जो नया पैटर्न और सिलेबस जारी किया गया था, फिलहाल उसे स्थगित किया गया और पुराना सिलेबस व पैटर्न ही बहाल रहेगा. इसपर हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों ने जश्न मनाया, लेकिन एक डर उन्हें सता रहा था कि पुनः यह फैसला तो नहीं बदल जायेगा. आखिरकार 17 जून को गैजेट नोटिफिकेशन जारी करके पुराने पैटर्न को बहाल कर दिया गया.15 मार्च 2023 को राज्य सरकार के पार विभाग की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी करके डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा के पैटर्न और सिलेबस में बदलाव किया गया. मेन परीक्षा के कंपलसरी पेपर एक, जिसमें पांच भाषाओं हिंदी/उर्दू/बांग्ला/नेपाली/संताली में से किसी एक भाषा के प्रश्नों के उत्तर लिखने का प्रावधान था, उसे बदल दिया गया. पांच भाषाओं में से तीन हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटा दिया गया तथा 200 नंबर के इस पेपर को 300 नंबर का कर दिया गया. इस पेपर में पूछे जानेवाले सवाल कक्षा दस के स्टैंडर्ड के होंगे और 30 फीसदी अंक पाना अनिवार्य बना दिया गया. जिससे हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के अभ्यर्थियों के लिये यह परीक्षा में बैठना ही सबसे बड़ी समस्या बन गयी क्योंकि कक्षा दस के स्टैंडर्ड के सवलों के जवाब बांग्ला/नेपाली भाषा मे देना पड़ता. नेपाली भाषा सिर्फ हिल एरिया के लोगों के लिए ही लागू थी. इसपर प्रभात खबर ने एक मई 2023 से मुहिम शुरू की और 27 मई 2025 तक यह मुहिम चरणबद्ध तरीके से चलती रही. लोग इस मुहिम से जुड़े और इसने एक जन आंदोलन का रूप लिया. विभिन्न माध्यमों से मुख्यमंत्री के पास भी अपील गयी. आखिरकार सरकार ने अपना निर्णय वापस ले लिया और डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में पुराने नियम और पद्धति को बहाल कर दिया.
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