कोलकाता. राज्य के 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी रद्द करने के मामले की सुनवाई मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतब्रत कुमार मित्रा की खंडपीठ में हुई. मंगलवार को मामले की सुनवाई में प्राथमिक शिक्षकों की ओर से वकील अनिंद्य मित्रा ने अदालत में पैरवी की. मंगलवार को न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ‘अगर अदालत देखती है कि नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, यहां तक कि मंत्री भी शामिल हैं, तो हम (न्यायाधीश) क्या करेंगे? कुछ नहीं करेंगे? अगर एक न्यायाधीश देखता है कि पैसे के बदले नौकरियां दी गयी हैं, अनियमितताएं हुई हैं, भ्रष्टाचार हुआ है, तो एक न्यायाधीश क्या करेगा? आंखें मूंद ले? हम ऐसा नहीं कर सकते. मंगलवार को नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों की ओर से वकील अनिंद्य मित्रा ने मंगलवार को सुनवाई में कहा कि 705 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की थी. वे 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हुए थे और 2017 में उनकी नियुक्ति हुई. तब से आठ साल बीत चुके हैं. अगर बोर्ड पद सृजित करता है और उन्हें नियुक्त करता है, तो क्या इसकी जिम्मेदारी उम्मीदवारों के कंधों पर डाली जा सकती है?’ न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने पूछा, ‘कितनी रिक्तियां थीं? कितने अप्रशिक्षित उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई है?’ इसके जवाब में अनिंद्य मित्रा ने कहा, ””””एक लाख से ज़्यादा आवेदक थे. लगभग 32 हज़ार अप्रशिक्षित उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन उन्होंने परीक्षा पास की थी. लेकिन आज उनकी नौकरी सवालों के घेरे में है. हालांकि खंडपीठ ने मंगलवार को कोई फैसला नहीं सुनाया. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.””””
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