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बंगाल में मिड डे मील के लाभार्थी क्यों हुए कम? 30 जून तक देनी होगी रिपोर्ट

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य से मांगा स्पष्टीकरण

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में मिड डे मील योजना के तहत भोजन करने वाले छात्रों की संख्या में कमी पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार से 30 जून तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले शैक्षणिक वर्ष (2024-25) में 31% छात्रों ने मिड डे मील का सेवन नहीं किया. इस शैक्षणिक वर्ष में 1.13 करोड़ छात्र इस योजना के तहत थे, लेकिन 2025-26 के शैक्षणिक वर्ष में यह संख्या घटकर लगभग 80 लाख हो गयी है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस कमी का कारण जानने और छात्रों की रुचि कम होने की वजहों पर 30 जून तक स्पष्टीकरण देने को कहा है. केंद्र की रिपोर्ट बताती है कि 2024-25 शैक्षणिक वर्ष में मिड डे मील के लिए 1,13,44,146 छात्र पंजीकृत थे, जिनमें से 77,91,946 छात्रों को ही भोजन मिला. यह कुल पंजीकृत छात्रों का 69% है. कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, मालदा, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बर्दवान और उत्तर 24 परगना जैसे जिलों में यह संख्या विशेष रूप से कम रही.

आरोप झूठे, बंगाल का कवरेज बेहतर : ब्रात्य बसु

राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने मिड डे मील में छात्रों की संख्या घटने के भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मिड डे मील का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी है. परियोजना अनुमोदन बोर्ड के अनुमोदित बजट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 91% कवरेज हासिल किया गया है, जबकि 2023-24 में यह 85% था. बंगाल में मिड-डे मील के मुद्दे पर मचाया जा रहा शोर पूरी तरह से झूठ है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के बड़े राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल में मिड डे मील की स्थिति काफी बेहतर है.

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