कोलकाता.
गुरुवार को नदिया के कालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है. इससे पहले यानी बुधवार को राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम और वित्त मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि पक्षपात करते हुए चुनाव आयोग ने चुनाव कार्य में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी या लॉजिस्टिक सपोर्ट व जरूरी उपकरण सप्लाई करने के लिए गुजरात की एक कंपनी को टेंडर दिया गया है. उनका सवाल है कि बंगाल में भी कई कंपनियां हैं, लेकिन उन्हें वह टेंडर क्यों नहीं दिया गया. इस दिन यहां तृणमूल भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा : गुरुवार को कालीगंज में उपचुनाव होगा. मतदान राष्ट्रीय चुनाव आयोग संचालित कर रहा है. उन्होंने दो जून को वेब कास्टिंग के लिए टेंडर निकाला. टेंडर में कई अजीबोगरीब नियम दिये गये थे, जिन्हें जरूरी बताया गया. सवाल यह है कि ये नियम अचानक क्यों लाये गये? चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया. हमें इसी बात का संदेह है. यह टेंडर दो जून को जारी की गयी, जिसे लेकर चार जून को एक बैठक हुई थी. तब तीन कंपनियों ने भाग लिया था और अंतत: टेंडर गुजरात की एक कंपनी को दे दी गयी. भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने इस बारे में राष्ट्रीय चुनाव आयोग को पत्र भेजकर इसकी जानकारी भी मांगी है.उपचुनाव में बंगाल की संस्था को किया गया वंचित : फिरहाद
राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने बुधवार को विधानसभा में दावा किया कि कालीगंज उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने गुजरात की एक संस्था को ठेका दिया है. उन्होंने कहा कि बंगाल की संस्था को वंचित किया गया है. हकीम ने कहा कि उपचुनाव के एक काम के लिए आयोग ने टेंडर निकाला था. बंगाल की कई संस्थाओं ने टेंडर में हिस्सा लिया था. लेकिन अंत में गुजरात की संस्था को टेंडर दिया गया. राज्य चुनाव कार्यालय की ओर से इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है