कोलकाता.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर उत्तर बंगाल में बाढ़ संकट के जवाब में एक उच्चस्तरीय समन्वय कोर कमेटी का गठन किया गया है. उच्चस्तरीय समिति का गठन तत्काल बाढ़ की रोकथाम और प्रबंधन रणनीतियों को लागू करते हुए वर्षा, नदी के जल स्तर और कटाव के जोखिम का आकलन करने के लिए किया गया है. गुरुवार को राज्य के सिंचाई मंत्री मानस रंजन भुइयां ने अलीपुरदुआर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. बताया गया है कि शुक्रवार को सिंचाई मंत्री उत्तर बंगाल के अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और वहां की स्थिति पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को रिपोर्ट पेश करेंगे. इसके अलावा, राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा विभाग ने प्रभावित जिलों में राहत, पुनर्वास और क्षति के आकलन की देखरेख के लिए उत्तर बंगाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दुष्यंत नारियाला के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया है, जो उत्तर बंगाल के सभी जिलों का दौरा कर अपनी अलग रिपोर्ट पेश करेगी.सिंचाई और जलमार्ग मंत्री मानस रंजन भुइयां द्वारा घोषित समन्वय कोर कमेटी में सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देब, मंत्री गुलाम रब्बानी और बुलु चिक बराइक और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम, भारतीय मौसम विभाग और सिंचाई विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं. उत्तर बंगाल के अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान, सिंचाई मंत्री ने इससे पहले माटीगाड़ा में नदी तट का निरीक्षण किया और सिक्किम और भूटान की नदियों के कारण आई बाढ़ को उजागर किया था.
इस मौके पर सिंचाई मंत्री ने भारत-भूटान नदी आयोग में पश्चिम बंगाल सरकार के अनुरोधों की कथित रूप से अनदेखी करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल में बाढ़ नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा कोई मदद नहीं की जा रही है, जबकि राज्य सरकार नदी की सफाई में सालाना 587 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है