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जेयू में कार्यशाला व प्रदर्शनी आयोजित

डिजिटल युग में संताली भाषा के संरक्षण की दिशा में अनूठी पहल

कोलकाता. जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) के स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्स्ट्स एंड रिकॉर्ड्स (एससीटीआर) ने डिजिटल युग में संताली भाषा को जीवित रखने के प्रयास के तहत एक अनूठी कार्यशाला का आयोजन किया है. इस कार्यशाला में विकिसोर्स प्लेटफॉर्म पर ऐतिहासिक दस्तावेजों को संताली भाषा में लिखने में रुचि रखने वाले प्रतिभागी शामिल होंगे.

जेयू के रवींद्र भवन में स्थित एससीटीआर में इस अवसर पर दुर्लभ संताली पांडुलिपियों की प्रदर्शनी और संताली एडिट-ए-थॉन की विशेष प्रस्तुति भी आयोजित की गयी. शोध विद्वान रीसूम पाल और अयान चटर्जी ने दो दुर्लभ पुस्तकों का प्रतिलेखन किया – बाबूलाल मुर्मू द्वारा बंगाली लिपि में लिखित नाटक ””सारजोम धारवाक”” (साल में संदेश) और राया सोरेन द्वारा रोमन लिपि में लिखित ””चोत्रे देशमाझी रेत कथा””.

प्रवास और स्मृति से उपजे दस्तावेज

बताया जाता है कि ””हुल 1855”” के बाद देसमांझी असम चले गये थे. लगभग 50 वर्षों के अंतराल के बाद राया सोरेन ने उनसे मुलाकात की और हुल पर आधारित उनका अनुभव पहली बार प्रकाशित किया. यह पुस्तक एक प्रथम व्यक्ति का विवरण है, जो इसे विशेष बनाता है. राही सोरेन ने बताया, ‘‘ये दोनों पुस्तकें सार्वजनिक डोमेन में हैं.’’

प्रतिभागियों को मिलेगा व्यावहारिक अनुभव

यह कार्यक्रम पंजीकरण के माध्यम से खुला है. इसमें भाग लेने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को एक-एक पृष्ठ का प्रतिलेखन करना होगा ताकि उन्हें व्यावहारिक अनुभव मिले और वे भविष्य में स्वयं भी योगदान दे सकें. एससीटीआर की परियोजना ‘‘पूर्वी भारत में 1890 और 1975 के बीच प्रकाशित प्रारंभिक संताली पत्रिकाओं का पता लगाकर उनका डिजिटलीकरण’’ भी जारी है. इस परियोजना के तहत संताली भाषा में लगभग 5,000 दुर्लभ दस्तावेजों और छवियों का डिजिटलीकरण और संरक्षण किया गया है. प्रदर्शनी में आगंतुकों को संथालों की समृद्ध साहित्यिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का अवसर मिलेगा.

प्रदर्शनी में बरहामपुर, मुर्शिदाबाद के डबलू सोरेन और पुरुलिया के बंदवान के महादेव हांसदा के संग्रह भी प्रमुख आकर्षण होंगे, जिन्हें डिजिटल रूप में संरक्षित किया गया है. इसके अलावा, यह प्रदर्शनी स्वर्गीय पंडित रघुराम मुर्मू और स्वर्गीय साधु रामचंद मुर्मू के कार्यों पर भी प्रकाश डालेगी और संताली साहित्य में उनके अमूल्य योगदान को रेखांकित करेगी.

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