संवाददाता, कोलकाता
अलीपुर चिड़ियाघर में बाघिनी पायल का बिना बेहोश किए उसके खांचे में ही अल्ट्रासाउंड (यूएसजी) परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया. चिड़ियाघर के अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान बाघिन शांत खड़ी रही, जिससे यह प्रक्रिया संभव हो पायी. 2016 में ओडिशा के नंदनकानन से बाघों की आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से पायल को अलीपुर चिड़ियाघर लाया गया था. उस समय वह जवान थी, लेकिन उसने कभी बच्चे नहीं जने. पायल अब 17 साल की हो चुकी है, जो बाघों के जीवनकाल के हिसाब से एक उम्रदराज अवस्था है और उसकी प्रजनन क्षमता भी समाप्त हो चुकी है.
पायल पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थी. वह अधिकांश समय सोती रहती थी और ठीक से खाना भी नहीं खा रही थी. चिकित्सकों को सूचित किए जाने पर उसकी जांच शुरू की गयी. रक्त परीक्षण के बाद, यूएसजी परीक्षण की आवश्यकता पड़ी, जो आमतौर पर जानवर को बेहोश करके ही किया जाता है. हालांकि, पायल के मामले में उसे एक छोटे खांचे में ले जाकर बिना बेहोश किए ही यूएसजी परीक्षण किया गया.अलीपुर चिड़ियाघर के अधिकारी अरुण मुखर्जी ने बताया कि पायल जेनिटल ऑर्गन (प्रजनन अंग) संबंधी समस्या से जूझ रही थी.
कई अन्य विशेषज्ञों से परामर्श के बाद उसका इलाज शुरू किया गया है. अब पायल पहले से बेहतर महसूस कर रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है