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बंगाल में इलाज के लिए भटक रहे हैं गैर कोरोना मरीज, आरएसएस ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की

Corona impact, Bengal news : कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) में गैर कोरोना के मरीजों को चिकित्सा के लिए दर-दर भटकने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. अस्पताल ऐसे मरीजों को भर्ती लेने से इंकार कर रहे हैं. इससे मरीज बिना इलाज के परेशान हो रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पूरी स्थिति पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. वहीं, भाजपा महासचिव और प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने भी ट्वीट कर बंगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जतायी है.

Corona impact, Bengal news : कोलकाता : कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) में गैर कोरोना के मरीजों को चिकित्सा के लिए दर-दर भटकने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. अस्पताल ऐसे मरीजों को भर्ती लेने से इंकार कर रहे हैं. इससे मरीज बिना इलाज के परेशान हो रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पूरी स्थिति पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. वहीं, भाजपा महासचिव और प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने भी ट्वीट कर बंगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जतायी है.

आरएसएस के दक्षिण बंग प्रांत कार्यवाह डॉ जिष्णु बसु (Dr Jishnu Basu) ने एक वीडियो जारी किया है और वीडियो में अपना निजी अनुभव का जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि कोलकाता की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ढह गयी है. 54 वर्षीय शिक्षक देवाशीष चटर्जी (Devashish Chatterjee) किडनी की पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं.

उन्हें सेलिब्रल अटैक आया था. डानकुनी के एक निजी नर्सिंग होम में उनका स्कैन किया गया, जिससे पता चला कि वह हेमा टोमा रोग से पीड़ित हैं. उनकी चिकित्सा के लिए एसएसकेएम हॉस्पिटल (SSKM Hospital) ले जाया गया, लेकिन उनके इस रिपोर्ट को देखकर वहां के डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें करोना हो सकता है, इसलिए यहां भर्ती नहीं किया जा सकता.

उक्त मरीज को कोलकाता मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, लेकिन कोलकाता मेडिकल कॉलेज ने भी उक्त मरीज को भर्ती लेने से इंकार कर दिया. अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि जब तक कोरोना का सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता तब तक मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सकता.

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उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मरीज कहां जाये? क्या मेडिकल कॉलेज में मरीजों की भर्ती नहीं हो सकती? ऐसा आदेश है. निजी नर्सिंग होम और प्राइवेट हॉस्पिटल एक दिन के 50 हजार रुपये लेते हैं, जो आम आदमी के लिए मुश्किल है और कोरोना की रिपोर्ट कोलकाता में आने में एक सप्ताह लगता है.

उन्होंने कहा कि कुछ हॉस्पिटल कोरोना का फायदा उठा रहे हैं, तो कुछ अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं. डॉक्टर विधानचंद्र के शहर में लोग चिकित्सा के लिए रो रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से इस बाबत हस्तक्षेप करने की मांग की.

डॉ बसु के वीडियो को रिट्वीट कर श्री विजयवर्गीय ने बंगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में कोविड प्रबंधन ध्वस्त हो गया है. कुछ अस्पताल कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने तक प्रवेश से इनकार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि डॉ विधानचंद्र राय (Dr Vidhan Chandra Rai), डॉ रोनाल्ड रॉस (Dr Ronald Ross), डॉ सरकार (Dr Sarkar) जैसे दिग्गजों का शहर कोलकाता आज चिकित्सा सहायता के लिए रो रहा है. ममता जी पश्चिम बंगाल के नागरिक आपको कभी माफ नहीं करेगी. सरकारी अस्पताल के अधिकारी जिम्मेदारियों से किनारा कर रहे हैं और निजी अस्पताल प्रतिदिन 50 हजार रुपये चार्ज कर रहे हैं.

Posted By : Samir ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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