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राज्यसभा चुनाव : गुजरात से निर्विरोध निर्वाचित किए गए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर

182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में भाजपा के पास 156 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 17 सीटें हैं. आम आदमी पार्टी के पास पांच विधायक हैं. एक सीट समाजवादी पार्टी और तीन सीटें निर्दलियों के पास हैं. तीनों निर्दलीय पहले ही सरकार को समर्थन देने का ऐलान का चुके थे.

अहमदाबाद : भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर गुजरात से राज्यसभा चुनाव के लिए निर्विरोध निर्वाचित कर लिये गए हैं. इनके साथ भाजपा के दो अन्य प्रत्याशी भी निर्विरोध निर्वाचित किए गए हैं. विदेश मंत्री का राज्यसभा सदस्य के तौर पर 18 अगस्त को कार्यकाल समाप्त हो रहा था. हालांकि, राज्यसभा के इस चुनाव में भाजपा के तीनों प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचित होने का कयास पहले से ही लगाया जा रहा था. इसका कारण यह है कि कांग्रेस ने पहले ही अपने प्रत्याशी नहीं उतारने का ऐलान कर चुकी थी. सबसे बड़ी बात यह है कि गुजरात में राज्यसभा के लिए 24 जुलाई को चुनाव कराने की संभावना जाहिर की जा रही थी, लेकिन चुनाव होने से पहले ही डॉ एस जयशंकर समेत भाजपा के तीनों प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित कर लिये गए.

मैदान क्यों बाहर हुई कांग्रेस

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में भाजपा के पास 156 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 17 सीटें हैं. आम आदमी पार्टी के पास पांच विधायक हैं. एक सीट समाजवादी पार्टी और तीन सीटें निर्दलियों के पास हैं. तीनों निर्दलीय पहले ही सरकार को समर्थन देने का ऐलान का चुके थे. भाजपा के पास मजबूत संख्याबल के चलते राज्यसभा चुनाव को सिर्फ औपचारिकता माना जा रहा था. गुजरात विधानसभा में संख्याबल कम होने की वजह से कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के मैदान से बाहर हो गई थी.

गुजरात से बहुत कुछ सीखने को मिला

अहमदाबाद में 10 जुलाई को नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कहा था, ‘मुझे आशा है कि आने वाले 4 सालों में देश में जो भी प्रगति होगी, उसमें भी मैं योगदान दे सकूंगा. मैंने पिछले चार साल में गुजरात से बहुत कुछ सीखा है. विदेश मंत्री ने कहा देश में खासकर विदेश नीति के क्षेत्र में जो बदलाव हुए हैं, उसमें जुड़ने का मौका मिला.’ उन्होंने कहा कि वे गुजरात से बहुत कुछ सीखे हैं, जिसके लिए उन्होंने यहां की जनता और विधायकों का भी आभार जताया. उन्होंने कहा कि गुजरात को भाजपा ने एक मॉडल स्टेट माना है. जयशंकर ने देश की प्रगति पर बोलते हुए कहा कि इन योजनाओं को केवल यहां नहीं बल्कि विदेश में भी सराहना की जा रही है.

सभी देशों के साथ भारत के संबंध बेहतर

विदेश नीति और पड़ोसी देशों के बात पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि सभी देशों में प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि नेपाल में ही देखिए वहां कनेक्टिविटी बढ़ी है, व्यापार अच्छे हुए है. उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे है. उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काफी अच्छे हुए है. उन्होंने पड़ोसी देशों के मसले कहा कि सभी देशों के साथ भारत के संबंध बेहतर हुए हैं.

2015 से 2018 तक विदेश सचिव रह चुके हैं जयशंकर

बता दें कि भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक भारत सरकार के विदेश सचिव भी रह चुके हैं. उन्होंने विदेश सचिव के रूप में अमेरिका, चीन समेत आसियान के बेहद महत्‍वपूर्ण कूटनीतिक असाइनमेंट पर काम किया. वे सोवियत संघ के विघटन के पूर्व मास्को और श्रीलंका में भारतीय सेनाओं के शांति मिशन के दौरान तैनात रहे हैं. वे भारत-अमेरिका के बीच इंडो न्‍यूक्‍लियर डील में बेहद करीब से जुड़े रहे.

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वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव की जिम्मेदारी

डॉ एस जयशंकर जन्म 15 जनवरी, 1957 को भारत की राजधानी नई दिल्ली में हुआ था. वे प्रमुख भारतीय सामरिक मामलों के विश्लेषक, टिप्पणीकार और प्रशासनिक अधिकारी हैं. वे इतिहासकार संजय सुब्रह्मण्यम और भारत के पूर्व ग्रामीण विकास सचिव सुब्रह्मण्यम विजय कुमार के भाई हैं. उन्होंने क्योको से शादी की और अभी उनके दो बेटे और एक बेटी है. डॉ एस जयशंकर वर्ष 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए. 1979 में रूसी अध्ययन किया और 1981 में मास्को में सोवियत संघ के लिए द्वितीय और तीसरे सचिव के रूप में कार्य किया. 1985-1988 में वह वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव थे.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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