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VIDEO : वाजपेयी जी ने जब कश्मीर पर लिखी कविता तो हिल गया था पाकिस्तान

आज 16 अगस्त है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है. इस मौके पर सोशल मीडिया पर वाजपेयी जी की कविताएं खूब सर्च की जा रही हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर मसले को लेकर 'एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्रता भारत का मस्तक नहीं झुकेगा...' कविता लिखी थी.

कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है. लेकिन, पाकिस्तान विभाजन के वक्त से ही इस पर नजर गड़ाए बैठा है. वह कश्मीर को लेकर भारत को सामरिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक तौर पर परेशान करने के लिए हमेशा घुसपैठ कराता रहता है. भारत के बिस्मार्क कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल के दौरान सद्भावना बस की शुरुआत भी की थी, जो दिल्ली से लाहौर तक जाती है.

इस बस को चलाने के पीछे वाजपेयी जी का मकसद दोनों देशों के बीच कटुता को समाप्त करते हुए आपसी आवाजाही की शुरुआत करना था, लेकिन तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने कारगिल युद्ध आहुत कर दिया. हालांकि, इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा. इतना ही नहीं, वाजपेयी जी ने नवाज शरीफ सरकार की तख्तापलट के बाद पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को राष्ट्रपति बनने के बाद भी नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता की थी. फिर भी पाकिस्तान बाज नहीं आया.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर मसले को लेकर ‘एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्रता भारत का मस्तक नहीं झुकेगा…’ कविता लिखी थी. उनकी यह कविता आज भी मौके-ब-मौके सोशल मीडिया पर खूब सर्च की जाती है. आज 16 अगस्त है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है. इस मौके पर सोशल मीडिया पर वाजपेयी जी की कविताएं खूब सर्च की जा रही हैं. देखिए, कश्मीर पर वाजपेयी जी द्वारा लिखी गई वह कविता, जिससे पाकिस्तान हिल गया था.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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