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WB Election 2021 : चुनाव से पहले गरमाया चाय मजदूरों का मुद्दा, इन मांगों को लेकर अलीपुरदुआर में प्रदर्शन

Alipurduar news in Hindi : पुलिस ने चाय बगान के जटेश्वर डिवीजन के पत्तियों को बेचने पर रोक लगा दी है, जिसके चलते श्रमिकों ने आंदोलन छेड़ दिया और मंगलवार को थाना के सामने धरने पर बैठ हुए थे. चाय की पत्तियां बेचने के उद्देश्य से लाये गये तीन वाहनों को पुलिस ने जब्त किया है.

अलीपुरदुआर : चुनावी मौसम में थाना के सामने चायपत्ती फेंक कर चाय श्रमिकों ने जमकर प्रदर्शन किया. मंगलवार यह दृश्य अलीपुरदुआर जिले के बीरपाड़ा थाना के सामने देखने को मिली हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष भर बंद रहने के पश्चात बिगत 18 फरवरी को अलीपुरदुआर जिले के बंद बीरपाड़ा चाय बागान को खोला गया. डंकन टी कंपनी के इस चाय बागान की जिम्मेदारी मेरिको टी कंपनी ने ली है. हालांकि, चाय बागान के जटेश्वर डिवीजन के श्रमिक बागान के मालिक के परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए सहमत नहीं है. उनके अनुसार नया मालिक बगीचे के स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए कोई वैध दस्तावेज दिखाने में सक्षम नहीं है.

पता चला कि बागान बंद के दौरान चाय श्रमिक और कर्मचारियों ने एक कमेटी बनाकर बागान के पत्तियां को बेचना शुरू किया था और उसी से उनका गुजारा चलता था. इसी बीच चाय बागान को फिर से खोल दिया गया है लेकिन श्रमिक नये मालिक को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. इधर पुलिस ने चाय बगान के जटेश्वर डिवीजन के पत्तियों को बेचने पर रोक लगा दी है, जिसके चलते श्रमिकों ने आंदोलन छेड़ दिया और मंगलवार को थाना के सामने धरने पर बैठ हुए थे.

सूत्रों से बताया गया कि चाय की पत्तियां बेचने के उद्देश्य से लाये गये तीन वाहनों को पुलिस ने जब्त किया है, जिसके बाद जटेश्वर डिवीजन के श्रमिक और कर्मचारियों ने लगभग 2500 किलो चाय की पत्तियां लेकर बीरपारा पुलिस स्टेशन के सामने फेंक दिया और विरोध करना शुरू कर दिया. बताया गया कि श्रमिकों ने पुलिस के माध्यम से अलीपुरदुआर जिलाधिकारी को एक मांग पत्र भी भेजा है.

बीरपारा पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार को चाय बागान के नये मालिक ने जटेश्वर डिवीजन से चाय पत्तियों को तोड़कर अवैध रूप से बिक्री करने को लेकर एक शिकायत की है. शिकायत के तहत पुलिस ने इसको लेकर एक मामला दर्ज किया है. इस विषय पर बीरपाड़ा चाय बागान के जटेश्वर डिवीजन के श्रमिकों और कर्मचारियों का कहना है कि वे नए मालिक को तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि उन्हें स्वामित्व समझौते का परिवर्तन नहीं मिलता. क्योंकि यदि नया मालिक अचानक बगीचे को छोड़ देता है, तो श्रमिकों और कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा.

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Posted By – Aditi Singh

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Guest Contributor - Prabhat Khabar

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