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Bihar: धनकुंड नाथ महादेव की पूजा किए बिना किसान शुरू नहीं करते खेती

श्रावण मास में सभी शिव मंदिरों की रौनक काफी बढ़ गई है. खासकर प्राचीन मंदिरों की महत्ता कुछ ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे ही मंदिरों में से एक है बांका जिले का धोरैया प्रखंड के मकैता बबुरा पंचायत अंतर्गत धनकुंडनाथ शिव मंदिर, जो भागलपुर-बांका जिला की सीमा पर अवस्थित सन्हौला-जगदीशपुर मुख्य सड़क मार्ग के उत्तर दिशा में स्थित है. वर्तमान में धनकुंडनाथ भागलपुर, बांका जिले व गोड्डा जिले के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है.

Bihar: श्रावण मास में सभी शिव मंदिरों की रौनक काफी बढ़ गई है. खासकर प्राचीन मंदिरों की महत्ता कुछ ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे ही मंदिरों में से एक है बांका जिले का धोरैया प्रखंड के मकैता बबुरा पंचायत अंतर्गत धनकुंडनाथ शिव मंदिर, जो भागलपुर-बांका जिला की सीमा पर अवस्थित सन्हौला-जगदीशपुर मुख्य सड़क मार्ग के उत्तर दिशा में स्थित है. वर्तमान में धनकुंडनाथ भागलपुर, बांका जिले व गोड्डा जिले के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है. दंत कथाओं के अनुसार धनकुंड शिव मंदिर का इतिहास धनु और मनु नामक दो भाईयों से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है की एक बार दोनों भाई इमली वन में भटक गए थे. इसी दौरान छोटे भाई मनु को बहुत जोर से भूख लगी थी. ऐसे में बड़े भाई धनु ने भातृत्व प्रेम के खातिर जंगल में कंद मूल और फल खोजना शुरू किया. इसी दौरान एक पेड़ की जड़ से लिपटा हुआ कंद मूल दिखा. धनु ने उसे पाने के लिए प्रहार किया तो उससे रस के बदले खून की धार फूट पड़ी. इसे देख दोनों भाई वहां से भाग निकले, लेकिन ईश्वर की महिमा ही कही जा सकती है कि वो दोनों जहां भी जाते कंद वहीं आकर खड़ा हो जाता. अंतत: हारकर दोनों भाई सो गए तो उन्होंने स्वप्न में देखा कि यहां पर भगवान शिव विराजमान हैं और पूजा करने की बात कह रहे हैं. आंख खुलते ही धनु ने कुंड के करीब खुदाई की तो उस दौरान कंद के भीतर से एक शिवलिंग प्राप्त हुआ, इसके बाद इस स्थान का नाम धनकुंड पड़ा. धार्मिक दृष्टिकोण से यह जिले का प्रसिद्ध मंदिर है. मंदिर के पुजारी मटरू बाबा ने बताया कि उनके पूर्वजों के अनुसार यह पवित्र स्थल पहले इमली जंगलों से घिरा हुआ करता था. धीरे-धीरे भगवान भोलेनाथ की कृपा से यह स्थल काफी रमणीय बन गया. आज यहां बिहार ही नहीं झारखंड के शिव भक्त भोलेनाथ का पूजा अर्चना करने आते हैं. मटरू बाबा ने आगे बताया कि यहां शिव मंदिर के सम्मुख माता पार्वती का मंदिर है, जिसे धनु और विंद समाज द्वारा बनाया गया है. शिव मंदिर के दक्षिण में एक शिवगंगा भी है. इसमें सालो भर जल विद्यमान रहता है. इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. पवित्र सावन माह के साथ-साथ शिवरात्रि के उपलक्ष्य पर यहां एक पखवारे तक भव्य मेला का आयोजन होता है. कहा जाता है कि इस धनकुंड नाथ मंदिर में साक्षात भगवान शिव विराजते हैं. मंदिर के सटे पश्चिम दिशा में लहुरिया ईंट से निर्मित पुरानी मंदिर के अवशेष अब भी मौजूद है, जिसे मुगल शासक के शासनकाल में तोड़ने की बात बताई जाती है. मंदिर के पुजारी मटरू बाबा ने बताया कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां अब तक ब्राह्मण जाति से कोई पुजारी नहीं हुआ. बल्कि सभी धनु-मनु के वंशज राजपूत जाति के पुजारी बनते आए हैं. यहां पुजारियों को पंडा बोला जाता है. वर्तमान में मंदिर के पुजारी मटरू बाबा और उनके तीन पुत्र दयानंद, उमा तथा अटल सिंह हैं, जो पूजा अर्चना व मंदिर की देख भाल करते.
Mahima Singh
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I have 3+ years of experience in digital journalism with a focus on video production, anchoring, and reporting. I’m especially passionate about political and crime stories, as well as documentary filmmaking. Skilled in end-to-end video storytelling for digital platforms.

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