kargil War: कारगिल युद्ध में मारे गए कैप्टन करनल शेर खान को याद करते हुए 6 जुलाई को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सेना प्रमुख ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक सच्चा देशभक्त बताया और उनकी बहादुरी की कहानियां सुनाते हुए उन्हें याद किया. पाकिस्तान में शेर खान को अब उनके बलिदान और बहादुरी के लिए प्रतिक माना जाता है, लेकिन एक समय था जब पाकिस्तान ने उन्हें पहचानने से भी इनकार कर दिया था.
पाकिस्तान ने किया था पहचानने से इनकार
जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना ने शेर खान के शव को टाइगर हिल (द्रास सेक्टर) से बरामद करने के बाद पाकिस्तान से संपर्क किया था, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था. साथ ही बयान देते हुए कहा था कि वे उनके रेगुलर आर्मी का हिस्सा नहीं हैं.
भारत ने शव लौटाने के लिए पाकिस्तान से संपर्क किया था
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान से संपर्क करके कारगिल युद्ध में मारे गए कैप्टन करनल शेर खान की शव की जानकारी दी थी. भारत ने यह साफ किया था कि वह शेर खान की लाश को पाकिस्तान को सौंपना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था.
भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान
इसके बाद वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास की ओर से इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस रिलीज किया गया. प्रेस रिलीज में कहा गया कि पाकिस्तान को युद्ध में मारे गए सैनिकों की लाश के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन वह इसे स्वीकार करने से मना कर रहा है क्योंकि इससे पाकिस्तान की कारगिल में संलिप्तता दुनिया के सामने आ जाएगी. इसके साथ ही प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि सच्चाई को न मानकर पाकिस्तान न सिर्फ सैनिकों के परिवारों के साथ गलत किया है, बल्कि पूरे दुनिया की सैन्य परंपराओं का अपमान किया है.
पाकिस्तान ने मांगी ICRC से मदद
शवों की पहचान से इनकार करने के बाद 13 जुलाई 1999 को पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संस्था रेड क्रॉस (ICRC) से मदद मांगी. ICRC ने बताया कि पाकिस्तान उन दोनों शवों को वापस देश लाना चाहता है जिनके बारे में भारत ने बताया था. हालांकि पाकिस्तान द्वारा ICRC को भेजे गए अनुरोध में दोनों अधिकारियों के नाम और पहचान का जिक्र नहीं था, जबकि उन्हें नाम की जानकारी थी. दूतावास का कहना है कि पाकिस्तान ने जानबूझकर पहचान को छुपाया था.