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भारतीय स्मार्टफोन बाजार में Samsung को चुनौती दे रही Xiaomi, Lenovo, Vivo और Oppo

भारत के स्मार्टफोन बाजार में चीन की मोबाइल कंपनियों का दबदबा कायम है. दोनों देशों के बीच जारी राजनीतिक व कूटनीतिक खींचतान से इतर भारत में सबसे अधिक बिकने वाले पांच स्मार्टफोन ब्रांड में से चार चीन के हैं. प्रतिस्पर्धी कीमतें और आक्रामक बिक्री रणनीति के चलते चीनी कंपनियों ने दुनिया के इस सबसे तेजी […]

भारत के स्मार्टफोन बाजार में चीन की मोबाइल कंपनियों का दबदबा कायम है. दोनों देशों के बीच जारी राजनीतिक व कूटनीतिक खींचतान से इतर भारत में सबसे अधिक बिकने वाले पांच स्मार्टफोन ब्रांड में से चार चीन के हैं.

प्रतिस्पर्धी कीमतें और आक्रामक बिक्री रणनीति के चलते चीनी कंपनियों ने दुनिया के इस सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा किया है और विशेषज्ञों के अनुसार यह दबदबा आगे भी बने रहने की उम्मीद है.

इस साल जुलाई-सितंबर की तिमाही में भारत में कुल मिला कर 3.9 करोड़ स्मार्टफोन बिके. शोध फर्म इंटरनेशनल डेटा काॅरपोरेशन (आईडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान भारत में बिके कुल स्मार्टफोन में से एक तिहाई या लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा शीर्ष पांच कंपनियों का रहा.

इसमें अगर सैमसंग को छोड़ दें तो बाकी चारों ब्रांड – शियोमी, लेनोवो, वीवो व ओप्पो – चीन के हैं. बाजार भागीदारी के लिहाज से शियोमी व सैमसंग पहले स्थान (23.5 प्रतिशत प्रत्येक) पर हैं. उसके बाद लेनोवो की नौ प्रतिशत, वीवो की 8.5 प्रतिशत व ओपो की 7.9 प्रतिशत भागीदारी है.

विशेषज्ञों के अनुसार चीनी कंपनियों की साख और पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछली तिमाही में शियोमी ने 40 लाख रेडमी नोट 4 फोन बेचे और यह देश में सबसे अधिक बिकने वाला फोन है.

आईडीसी इंडिया के मुख्य विश्लेषक जयपाल सिंह ने कहा कि स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों के दबदबे की प्रमुख वजह आकर्षक प्रतिस्पर्धी कीमतें और उनकी आक्रामक रणनीति है. उन्होंने कहा कि ये कंपनियां वैश्विक स्तर की योजना के साथ बाजार को अपने कब्जे में करने की कोशिश करती हैं.

डिजाइनऔर उत्पादन के लिहाज से भारत सहित अन्य देशों की कंपनियां उनके मुकाबले दूर-दूर तक नहीं दिखतीं. भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल फोन बाजारों में से एक है.

शोध संस्थान सीएमआर के अनुसार, भारत में मोबाइल फोनों की बिक्री इस साल के आखिर तक बढ़ कर 26.2 करोड़ इकाई होने की संभावना है जिसमें 14.16 करोड़ फीचर फोन व लगभग 12 करोड़ स्मार्टफोन होंगे.

यही कारण है कि वनप्लस और जियोनी जैसी अन्य चीनी कंपनियां भी यहां अपनी पकड़ को मजबूत बनाना चाहती हैं. चीन की कई और कंपनियां भी भारतीय स्मार्टफोन बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही हैं.

इनमें वनप्लस और जियोनी भी है. हाल ही में एम7 पावर स्मार्टफोन पेश करने वाली जियोनी इंडिया के निदेशक डेविड चांग ने कहा, भारत हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण बाजार है. हम मार्च 2018 तक शीर्ष पांच कंपनियों में आना चाहते हैं.

कंपनी इसके लिए नये फोन लायेगी और अपने नेटवर्क का विस्तार करेगी. विश्लेषकों का मानना है कि चांग का यह बयान भारतीय स्मार्टफोन बाजार में पैठ बढ़ाने की चीनी कंपनियों की ललक को दिखाता है और जयपाल सिंह के अनुसार इन कंपनियों का दबदबा आने वाले समय में कम होगा इसका कोई संकेत फिलहाल नहीं है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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