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‘बेशरम’ की ‘पद्मिनी’ ने बॉलीवुड में सालों तक किया राज, फिर मारेगी एंट्री

Padmini Car: 1944 में महान इंजीनियर भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया के प्रोत्साहन-समर्थन से वालचंद हीराचंद ने पद्मिनी कार बनाने के लिए प्रीमियर ऑटो की स्थापना की थी.

Padmini Car: भारत में आजादी के बाद से दो प्रीमियम कारों ने बरसों तक राज किया. इनमें पहला नाम हिंदुस्तान मोटर्स की एंबेसडर का आता है, जो सड़क से लेकर संसद तक राज करती थी. इसके बाद दूसरा नाम ‘पद्मिनी’ (Padmini) का आता है, जिसका बॉलीवुड में राज था. बॉलीवुड में बनने वाली प्राय: हर फिल्म में ‘पद्मिनी’ की झलक दिखाई दे ही जाती थी. साल 1978 में सदी के महानायक और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘बेशरम’ आई थी, जिसका निर्देशन चरित्र अभिनेता देवेन वर्मा ने किया था. इस पूरी फिल्म में ‘पद्मिनी’ प्रीमियर कार पर शूटिंग की गई है. साल 1970-80 के दशक में यह कार पूरे शबाब थी. भारत में प्रीमियर ऑटोमोबाइल ने साल 1964 में इसे पहली बार बाजार में उतारा था और करीब 59 साल बाद 30 अक्टूबर 2023 के बाद से इसे सड़क से हटा दिया गया. 2021 में इसका प्रोडक्शन बंद कर देने के बाद यह केवल मुंबई की सड़कों पर ही दिखाई देती थी, लेकिन अक्टूबर 2023 के बाद इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया.

टॉप सेलिंग Padmini ने 60 सालों तक किया राज

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एक रिपोर्ट के अनुसार, 1985 में मारुति 800 के बाद ‘पद्मिनी’ (Padmini) प्रीमियम कार टॉप सेलिंग कारों में शुमार थी. उस समय इसकी करीब 29,000 इकाइयों की बिक्री हो गई थी, जबकि मारुति 800 की 37,000 इकाइयों की बिक्री हुई थी. तीसरे स्थान पर एंबेसडर थी, जिसकी 21,000 इकाइयां बिकी थीं और चौथे नंबर पर महिंद्रा जीप थी, जिसकी 15,000 इकाइयां बिकी थीं. अब उम्मीद यह की जा रही है कि भारत की सड़कों तक 60 साल तक राज करने वाली प्रीमियर कार ‘पद्मिनी’ इलेक्ट्रिक वाहन के अवतार में एक बार फिर एंट्री मार सकती है. इस समय भारत में कई कार कंपनियां अपने पॉपुलर मॉडल को इलेक्ट्रिक कार के तौर पर बाजार में उतार रही हैं, तो ‘पद्मिनी’ के चाहने वाले भी इसे इलेक्ट्रिक अवतार में देखने की उम्मीद कर रहे हैं. आइए, सालों तक भारत में राज करने वाली ‘पद्मिनी’ प्रीमियर कार की खासियत के बारे में जानते हैं.

1964 में फिएट के लाइसेंस पर पहली बार उतारी गई थी Padmini

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प्रीमियर पद्मिनी (Padmini) 1964 से 2001 तक भारत में प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड वालचंद ग्रुप के एक डिवीजन की ओर से फिएट के लाइसेंस पर बनाई जाती रही. यह चार सीटों वाली सैलून कार थी. शुरुआत में फिएट 1100 डिलाइट के रूप में इसकी बिक्री की गई. इसके बाद 1974 से प्रीमियर पद्मिनी के रूप में बेची गई. भारत के बाजार में पद्मिनी इसका मुकाबला हिंदुस्तान मोटर्स की अंबेसडर और स्टैंडर्ड हेराल्ड से था. इस लोकप्रिय कार ने भारत के कार बाजार पर लंबे समय तक राज किया और इसकी लोकप्रियता 1970 और 80 के दशक के दौरान अपने चरम पर थी. बॉलीवुड के सुपर स्टार रजनीकांत, ममूटी, आमिर खान सहित उस समय की कई मशहूर हस्तियों के पास प्रीमियर पद्मिनी थी. आम बोलचाल की भाषा में इसे पैड या फिएट के नाम से जाना जाता है.

प्रीमियर ऑटो बनाती थी Padmini

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पद्मिनी (Padmini) कार को भारत में प्रीमियर ऑटोमोबाइल लिमिटेड कंपनी बनाती थी. भारत के महान इंजीनियर भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया के प्रोत्साहन और समर्थन से वालचंद हीराचंद ने इसकी स्थापना 1944 में की थी. पद्मिनी का नाम 14वीं सदी की एक राजकुमारी पद्मिनी के नाम पर रखा गया था. पद्मिनी का मूल अर्थ कमल पर बैठी हुईं देवी लक्ष्मी है. यह उस समय भारत में लड़कियों के लिए एक सामान्य नाम था. प्रीमियम पद्मिनी कार लंबे समय तक मुंबई की लाइफलाइन बनी रही और लोगों को सफर कराती रही. 30 अक्टूबर 2023 से मुंबई में इसे परिवहन व्यवस्था से हटा दिया गया है.

Padmini को क्यों बनाया काली-पीली टैक्सी

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2001 में इस मॉडल का प्रोडक्शन बंद होने तक इसे ‘पद्मिनी’ (Padmini) के नाम से ही जाना जाता था. मुंबई में इस टैक्सी को काला और पीला रंग दिया गया. इसके बाद से यह ‘काली-पीली’ टैक्सी के नाम से प्रसिद्ध हो गई. कई फिल्मों में दर्शकों के सामने मुंबई शहर की झलक दिखाने के लिए काले-पीले रंग वाली टैक्सी को शॉट में दिखाया गया है.

30 अक्टूबर 2023 के बाद गैर-कानूनी हो गई Padmini

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मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने साल 2008 में कैब के लिए प्रयोग में लाई जा रही गाड़ियों की उम्र सीमा 25 साल निर्धारित की थी, जिसे 2013 में घटाकर 20 साल कर दिया गया था. मुंबई में इन काली-पीली टैक्सियों के रूप में पद्मिनी (Padmini) का रजिस्ट्रेशन 1990 में किया गया था और अब तक ये 20 साल की समय सीमा को पार कर चुकी हैं. इस वजह से इसे मुंबई की सड़कों से आउट कर दिया गया. 30 अक्टूबर 2023 के बाद से इसे चलाना गैर-कानूनी हो गया.

म्यूजियम मॉडल बनकर रह गई Padmini

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मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में पुरानी टैक्सी पद्मिनी (Padmini) के परिचालन को बंद होने के बाद टैक्सी टैक्सी यूनियन ने इस प्रीमियर कार को याद के तौर पर प्रदर्शनी में लगाने के लिए म्यूजियम में सजाकर रख दिया है. 30 अक्टूबर 2023 से मुंबई में 40,000 से ज्यादा काली-पीली पद्मिनी टैक्सियां बंद हो गईं. 1990 के दशक में केवल मुंबई की सैकड़ों पर ऐसी 60,000 टैक्सियां चल रही थीं.

Padmini कार की क्या थी कीमत

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1990 के दशक में जब इस कार का रजिस्ट्रेशन जारी था, तब एक्स-शोरूम में पद्मिनी (Padmini) की कीमत 1.95 लाख रुपये में आती थी. उस समय इसका दो वेरिएंट बाजार में उपलब्ध था, जिसमें पद्मिनी डीजल था. इस मॉडल में 1089 सीसी का मैनुअल डीजल इंजन दिया गया था, जो एक लीटर में 15 किलोमीटर का रेंज देती थी. इसका दूसरा वेरिएंट पद्मिनी एसटीडी था, जिसमें 1089 सीसी का मैनुअल पेट्रोल इंजन दिया गया था. इस मॉडल की यह कार एक लीटर पेट्रोल पर 15 किलोमीटर का रेंज देती थी. इन दोनों वेरिएंट का इंजन 5000 आरपीएम पर 40 पीएस का अधिकतम पावर और 3000 आरपीएम पर 69 एनएम का पीक टॉर्क जेनरेट करने में सक्षम था.

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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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