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Fuel Lid तक तेल भराया तो नौटंकी करने लगेगी गाड़ी

Fuel Management: आपके पास गाड़ी है, तो फ्यूल मैनेमेंट की जानना बेहद जरूरी है. जानकारी के अभाव में पेट्रोल पंप कर्मचारी टंकी फुल कराने के नाम पर मूर्ख बनाते हैं.

Fuel Management: आपके पास कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर, बस, ट्रक, थ्री व्हीलर या फिर कोई गाड़ी है? अगर है, तब तो आपको फ्यूल मैनेजमेंट के बारे में जानकारी होगी ही? नहीं है, तो जान लेना चाहिए, वर्ना पेट्रोल पंप पर तेल डालने वाले कर्मचारी आपको फुल टंकी तेल भरने के नाम पर आपको मूर्ख बनाते रहेंगे. इसमें उनका फायदा और आपको नुकसान अधिक होगा. गौर करने वाली बात यह है कि अगर आप अपनी गाड़ी में फ्यूल लिड तक तेल डलवाते हैं, तो आपकी गाड़ी नौटंकी करने लगेगी. इसके बाद आप परेशान होंगे और मैकेनिक के पास चक्कर लगाते फिरेंगे. इससे बेहतर है कि आप फ्यूल मैनेजमेंट के बारे में जान लें, ताकि आपको परेशान न होना पड़े.

क्या है Fuel Management

गाड़ी में फ्यूल टैंक की क्षमता के अनुसार तेल डलवाना ही फ्यूल मैनेजमेंट कहलाता है. आप जब गाड़ी खरीदते हैं, तो उसके साथ आपको एक बुकलेट मिलता है. इस बुकलेट में फ्यूल मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी जाती है कि आपको फ्यूल टैंक में किस लेवल तक तेज डलवाना है. अगर आप बुकलेट में इसे नहीं देख पाए, तो कोई बात नहीं. फ्यूल टैंक पर भी एक स्टीकर चिपकाया जाता है, जिस पर आपको टैंक में फ्यूल लेवल के बारे में बताया जाता है. इसमें बताया यह जाता है कि किसी भी गाड़ी में टंकी फुल कराने के नाम पर फ्यूल लिड तक तेल कभी नहीं डलवाना चाहिए. ऐसा करने पर आपकी गाड़ी को नुकसान पहुंच सकता है.

क्या है Fuel lid

दरअसल, फ्यूल टैंक पर लगे ढक्कन या कैप को फ्यूल लिड कहा जाता है. गाड़ी बनाने वाली कंपनियां हमेशा निर्देशित करती हैं कि टैंक में तेल फ्यूल लिड से नीचे ही डलवाना चाहिए. फ्यूल लिड को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने अथवा गाड़ी के आड़ा-तिरछा होने पर तेल बाहर नहीं निकलता है. यह कैप टैंक के मुंह को एक प्रकार से जकड़ा होता है. तेल डलवाने के लिए जब आप इसे खोलते हैं, तो आपको जोर लगाना पड़ता है.

Fuel Tank में कितना भरवाना चाहिए तेल

गाड़ियों में तेल डलवाने के लिए फ्यूल टैंक की अपनी एक क्षमता होती है. हर प्रकार की गाड़ियों के फ्यूल टैंक की क्षमता अलग-अलग होती है. छोटी गाड़ियों में फ्यूल टैंक की क्षमता 10 से 15 लीटर की होती है. जैसे-जैसे गाड़ियों का साइज बढ़ता है, उसके फ्यूल टैंक की क्षमता भी बढ़ती चली जाती है. बता दें कि गाड़ी बनाने वाली कंपनियां अपने मैनुअल में बता देती हैं कि आपको किस निशान तक तेल भरवाना है. कंपनियां फ्यूल टैंक की क्षमता से अधिक जगह देती हैं. यह लगभग हर तरह की गाड़ियों में होती है, लेकिन लिमिट बताकर कंपनियां गाड़ी चालक और सवारों की सुरक्षा करती है.

Fuel Tank में अधिक तेल डलवाने के नुकसान

अगर आप फ्यूल टैंक की क्षमता से अधिक तेल डलवाते हैं, तो आपकी गाड़ी के साथ-साथ चालक और सवार को भी नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है. आम तौर पर फ्यूल टैंक के अंदर तेल डालने के बाद तापमान बढ़ने से उसका लेवल बढ़ जाता है. फ्यूल टैंक में पेट्रोल-डीजल फैलने लगते हैं. टैंक में जगह नहीं रहने पर फ्यूल पंप पर असर पड़ता है और आपकी गाड़ी लीक करने लगती है. इसके साथ ही, इसका इंजन पर भी असर पड़ता है. वहीं, गाड़ी से फ्यूल लीक होने पर गाड़ी में आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि टैंक से निकलने वाला फ्यूल प्रेशर की वजह से इंजन पर जोर पड़ता है और गाड़ी के अधिक नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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