कैलाशपति मिश्र/ Bihar Politics: लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए में भतीजा चिराग पासवान की इंट्री के बाद खुद को निगलेक्टेड अनुभव करने वाले चाचा पशुपति पारस ने एनडीए से अलग राह लेने का निर्णय ले चुके हैं. संकेत महागठबंधन में जाने का दे रहे हैं, लेकिन खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. पारस की पार्टी रालोजपा के सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन में जाना लगभग तय है, सीट को लेकर गुना भाग चल रहा है.
पशुपति पारस को लेकर महागठबंधन में जाने की चर्चा
महागठबंधन को लीड करने वाली पार्टी राजद की ओर से उन्हें दो-तीन सीट देने का ऑफर दिया गया है, जबकि पारस अधिक सीट चाहते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव से पहले लोजपा में हुई टूट के बाद चाचा पशुपति पारस ने रालोजपा और भतीजा चिराग पासवान ने लोजपा (रा) नाम से पार्टी बनायी. पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस एनडीए गठबंधन से जुड़े रहे, जबकि खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग ने एनडीए के खिलाफ ही जंग का बिगुल फूंक दिया. नतीजतन एनडीए गठबंधन को पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर शिकस्त मिली थी.
बाबा साहेब की जयंती के अवसर पर पारस ने एनडीए से अगल होने की घोषणा
बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर हर रोज नई-नई सियासी रणनीति की बात सामने आ रही है. डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने केंद्र और बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि एक नया बिहार बनाएंगे और राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर पार्टी को मजबूत करेंगे. उसके बाद लोजपा के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती के अवसर पर रालोजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बुलाया गया. इससे पारस ने अपने कार्यकर्ताओं को राजनीतिक संदेश भी दिया कि पार्टी महागठबंधन के साथ चुनाव में उतरेगी.
हम लोग एनडीए गठबंधन के वफादार और ईमानदार साथी थे
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा, हम लोग एनडीए गठबंधन के वफादार और ईमानदार साथी थे. लोकसभा चुनाव के समय एनडीए के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ नाइंसाफी की. बावजूद राष्ट्रहित में हमारी पार्टी एनडीए के साथ रही. लेकिन एनडीए ने उन्हें(चिराग) तवज्जो दी जो उनके साथ धोखा दिया था. अब रालोजपा एनडीए को शिकस्त देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.
साथियों के एडजस्टमेंट की पारस के समक्ष है चुनौतियां
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पशुपति कुमार पारस को अकेले शामिल करने में राजद को भी कोई परहेज नहीं है. पशुपति पारस की मुश्किलें इससे कम नहीं होती. पारस अपने साथ रहे पूर्व साथियों को भी पॉलिटिकल एडजस्टमेंट चाहते हैं. यही कारण है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी दाल महागठबंधन में नहीं गल पायी. चुनौती इस बार भी है. पारस के साथ पुराने लोजपा के सूरजभान सिंह सरीखे कई साथी हैं. इसके अलावा उन्हें कुछ और सीटें मिलेंगी तभी उनका राजनीतिक कद भी बरकरार रह पायेगा.