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बिहार में पिछले चुनाव के मुकाबले कम हो जायेंगे वोटर, 2005 के बाद पहली बार होगा ऐसा

Bihar Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान की संख्या से 4.8 मिलियन (6.2%) कम है. 2020 के राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान की संख्या से 1.2 मिलियन (1.6%) कम है. निर्वाचन आयोग ने यह जानकारी दी. इस तरह बिहार में मतदाताओं की संख्या में स्पष्ट कमी आई है. हालांकि, अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होनी है.

Bihar Politics: पटना. बिहार में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार वोटरों की संख्या कम होगी. 2005 में हुए दो विधानसभा चुनावों के बाद से पहली बार कमी आई है. बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत मतदाता सूची की गणना के दौरान 72.4 मिलियन फॉर्म इकट्ठा हुए हैं. यह संख्या 24 जून को राज्य में दर्ज मतदाताओं की संख्या से 6.5 मिलियन (8%) कम है, जो कि एसआईआर शुरू होने से एक दिन पहले थी. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान की संख्या से 4.8 मिलियन (6.2%) कम है. 2020 के राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान की संख्या से 1.2 मिलियन (1.6%) कम है. निर्वाचन आयोग ने यह जानकारी दी. इस तरह बिहार में मतदाताओं की संख्या में स्पष्ट कमी आई है. हालांकि, अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होनी है.

मतदाताओं की संख्या मेंकमी असंभव नहीं

बिहार में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदाताओं की संख्या आमतौर पर बढ़ती रही है. 1977 से अब तक वोटरों की सूची देखने पर पता चलता है कि 2004 के बाद से हर चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ी, सिवाय 2005 के फरवरी और अक्टूबर विधानसभा चुनावों के बीच, जब मतदाताओं की संख्या 52.7 मिलियन से घटकर 51.3 मिलियन (2.5% की कमी) हो गई. 2005 का रुझान दिखाता है कि बिहार में मतदाताओं की संख्या में कमी आना असंभव नहीं है. लेकिन, अगर 30 सितंबर को प्रकाशित होनेवाली अंतिम मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या 2020 के विधानसभा चुनाव (73.6 मिलियन) या 2024 के लोकसभा चुनाव (77.3 मिलियन) से कम रहती है, तो यह बिहार में दुर्लभ घटना होगी.

2003 के SIR के दौरान भी हुआ ऐसा

बिहार जैसे उच्च प्रजनन दर वाले राज्य में मतदाताओं की संख्या में कमी आना 2005 में भी हैरान करनेवाला था, जब 2003 के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दो साल बाद और लोकसभा चुनाव के बाद यह कमी देखी गई. बिहार की उच्च प्रजनन दर के कारण 2001 से 2011 की जनगणना के बीच राज्य में वयस्कों की संख्या 28.5% बढ़ी. हालांकि, इस दौरान राज्य से पलायन की दर भी तेज हुई. 2025 में अब तक के एसआईआर में देखी गई मतदाताओं की संख्या में कमी को अभी सुधारने का समय है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि में मतदाताओं को फिर से सूची में जोड़ा जा सकता है.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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