Bihar Voter List Revision: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) के पहले चरण के आंकड़े जारी कर दिए हैं. एक महीने तक चले इस अभियान के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में राज्य भर से 65 लाख 64 हजार वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं. यह संख्या चुनावी रणनीतिकारों, राजनीतिक दलों और आम नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकती है, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण की संभावनाओं को भी जन्म दे सकती है.
पहले 7 करोड़ 89 लाख से अधिक थे मतदाता
चुनाव आयोग के अनुसार, पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 7 करोड़ 89 लाख से अधिक मतदाता थे, जो अब घटकर 7 करोड़ 24 लाख 5 हजार 756 रह गए हैं. आयोग का कहना है कि हटाए गए नामों में 22 लाख 34 हजार मतदाता मृत पाए गए, 36 लाख 28 हजार ने स्थायी रूप से अपना निवास स्थान बदल लिया और 7 लाख एक हजार लोगों के नाम दो स्थानों पर दर्ज थे. इस तकनीकी प्रक्रिया के तहत यह सफाई की गई है.
लेकिन इस डेटा में राजनीतिक भूगोल की दृष्टि से खास महत्व रखने वाले क्षेत्रों में हुए नाम कटाव ने सियासी हलचल मचा दी है. विशेषकर सीमांचल, तिरहुत, मिथिलांचल, पटना और मगध प्रमंडल जैसे इलाकों में व्यापक स्तर पर नामों की कटौती को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
सीमांचल के चार जिलों से 7.6 लाख से अधिक मतदाता के हटाए गए नाम
मुस्लिम बहुल सीमांचल के चार जिलों अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में कुल 7.6 लाख से अधिक मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. इन जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 38% से 68% के बीच है और यह क्षेत्र हमेशा से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है. किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 49,340 नाम हटाए गए हैं, जबकि सबसे कम 29,277 नाम ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में कटे हैं.
2020 के चुनाव में AIMIM ने 5 सीटों पर दर्ज किया था जीत
यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बांग्लादेश और नेपाल की सीमाओं से सटा हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में यहां घुसपैठ और पहचान से जुड़ी राजनीति हावी रही है. 2020 के विधानसभा चुनावों में AIMIM ने यहां की पांच सीटें जीतकर महागठबंधन को करारा झटका दिया था. इस बार भी सीमांचल में ध्रुवीकरण की आशंका जताई जा रही है और इस सूची से इतने बड़े पैमाने पर नामों का कटना चुनावी राजनीति में नया मोड़ ला सकता है.
NDA के मजबूत गढ़ में भी भारी संख्या में हटाए गए नाम
दूसरी ओर, NDA के मजबूत गढ़ माने जाने वाले तिरहुत और मिथिलांचल क्षेत्र में भी भारी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. तिरहुत कमिश्नरी के 6 जिलों में कुल 12 लाख 90 हजार 95 नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिए गए हैं. 2020 में इन जिलों की 49 में से 33 सीटें NDA के खाते में गई थीं. वहीं, मिथिलांचल के 3 जिलों दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में विधानसभा की 30 सीटें हैं, जिनमें से 22 पर NDA ने जीत दर्ज की थी. मधुबनी जिले में सबसे अधिक 3 लाख 52 हजार 545 नामों की कटौती हुई है.
पटना कमिश्नरी के 6 जिलों में 10 लाख से अधिक नाम हटाए गए
इसके विपरीत, महागठबंधन के मजबूत गढ़ पटना और मगध कमिश्नरी में भी साढ़े 16 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम लिस्ट से गायब हैं. पटना कमिश्नरी के 6 जिलों में 10 लाख 42 हजार 570 और मगध के 5 जिलों में 6 लाख 15 हजार 362 नाम हटाए गए हैं. इन दोनों क्षेत्रों में महागठबंधन का प्रभाव पिछले चुनाव में अधिक था. 2020 में पटना की 43 सीटों में से 27 महागठबंधन ने जीती थीं, जबकि मगध की 26 में से 19 पर वह विजयी रहा था.
विपक्ष लगातार उठा रहा सवाल
इस पूरी प्रक्रिया को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. उनका आरोप है कि यह मतदाता सूची में ‘साफ-सफाई’ के नाम पर ‘चुनिंदा सफाई’ है, जो खास तबकों और क्षेत्रों को टारगेट कर रही है. हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है जो हर चुनाव से पहले की जाती है ताकि सूची से मृत, स्थानांतरित या दोहरे नामों को हटाया जा सके.
नई रणनीति तैयार करने में राजनीतिक दलों को मिलेगी मदद
हालांकि, यह आंकड़े आगामी चुनावों के लिए नई रणनीति तैयार करने में राजनीतिक दलों को दिशा जरूर देंगे. सीमांचल से लेकर मगध तक, मतदाता सूची में हुए इन बदलावों का प्रभाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह चुनावी रुझानों, सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन जैसे फैसलों को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले चरण की वोटर लिस्ट में कौन से नाम फिर जुड़ते हैं और कौन से स्थायी रूप से हट जाते हैं.
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