Raghunathpur, Bihar Assembly constituency: बिहार की सियासत में रघुनाथपुर विधानसभा सीट एक ऐसी भूमि रही है, जिसने समय के साथ राजनीतिक रंग कई बार बदले हैं. कभी यह कांग्रेस का अभेद्य किला था, तो कभी सोशलिस्ट विचारधारा की लहर ने यहां परचम लहराया. 1951 में इस सीट का गठन हुआ और उसी साल कांग्रेस के राम नंदन यादव ने जीत के साथ इसकी राजनीतिक यात्रा का श्रीगणेश किया. इसके बाद 60 और 70 के दशक में कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टियों के बीच सियासी मुकाबला देखने को मिला. 1977 की इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की आंधी में बिक्रम कौर ने यहां से जीत दर्ज की, जो बदलाव की पहली बयार थी.
बिक्रम कुंवर ने कांग्रेस में लगाई सेंध
80 और 90 का दशक कांग्रेस के विजय शंकर दुबे के नाम रहा, जिन्होंने एक के बाद एक चुनाव जीते। लेकिन 1995 में जनता दल के बिक्रम कुंवर ने कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगा दी. 2000 में दुबे ने वापसी की, पर 2005 में सियासी समीकरण फिर बदले और जेडीयू की जगमातो देवी विधायक बनीं. इसके बाद 2010 में बीजेपी के विक्रम कुंवर ने सत्ता की बागडोर संभाली, जो इस सीट पर पहली बार कमल का खिला.
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क्या है मौजूदा हालात ?
2015 में रघुनाथपुर ने एक और करवट ली. राजद के हरि शंकर यादव ने बीजेपी उम्मीदवार को हराकर सत्ता में वापसी की और 2020 में वे और भी बड़े अंतर से विजयी हुए. यह जीत न सिर्फ राजद के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह संकेत भी थी कि रघुनाथपुर की जनता अब सामाजिक न्याय और बदले हुए मुद्दों की राजनीति को महत्व दे रही है.