Runnisaidpur Assembly constituency: रुन्नीसैदपुर विधानसभा क्षेत्र, बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षेत्र है, जिसका राजनीतिक इतिहास जातीय समीकरणों, दल-बदल, विकास के मुद्दों और राष्ट्रीय दलों के प्रभाव से गहराई से जुड़ा रहा है. यह क्षेत्र सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और अनारक्षित श्रेणी में है. 1970 और 80 के दशक में यहां कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता था. परंतु 1990 के दशक में सामाजिक न्याय की राजनीति के उभार के साथ ही लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाई. यादव और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव राजद की ओर बढ़ता गया, जिससे इस पार्टी को लगातार मजबूती मिली.
साल 2000 में रुन्नीसैदपुर हुआ नीतीश बनाम लालू
2000 के बाद यह क्षेत्र नीतीश कुमार बनाम लालू यादव की राजनीति का केंद्र बन गया. जदयू ने कानून-व्यवस्था और विकास के मुद्दों पर फोकस करते हुए अपनी स्थिति मजबूत की, जबकि राजद ने परंपरागत वोट बैंक को साधे रखा. 2010 के बाद गठबंधन राजनीति ने नया मोड़ लिया, जिसमें कभी राजद-कांग्रेस-जदयू महागठबंधन और कभी भाजपा-जदयू के एनडीए गठजोड़ ने चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने जीत दर्ज की. वे कई बार के विधायक हैं और क्षेत्र में एक लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं.
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क्या है जातिगत समीकरण ?
रुन्नीसैदपुर की राजनीति में यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण, पासवान, कुर्मी और अन्य ओबीसी समुदायों की भूमिका निर्णायक रही है. यहां के चुनाव अक्सर जातीय समीकरण बनाम विकास के मुद्दों के बीच संतुलन साधते नजर आते हैं. बाढ़ और सड़क जैसी बुनियादी समस्याएं, शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों की कमी, बेरोजगारी और लगातार पलायन जैसे मुद्दे यहां के मतदाताओं के लिए अहम रहे हैं. कुल मिलाकर, रुन्नीसैदपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति का एक सूक्ष्म प्रतिबिंब है, जहां जातीय पहचान और विकास की चाह के बीच सियासी समीकरण तय होते हैं.