Bankim Chandra Chatterjee in Hindi: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय भारत के एक प्रसिद्ध लेखक, कवि और पत्रकार थे. उन्हें बंगाली भाषा का साहित्य सम्राट कहा जाता है. उनका जन्म 27 जून 1838 को और निधन 8 अप्रैल 1894 को हुआ था. वे भारतीय राष्ट्रवाद के शुरुआती समर्थकों में से एक थे और उनकी रचनाएं स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा देती थीं. उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना वंदे मातरम् (Vande Mataram) है जो आजादी की लड़ाई का नारा बन गया. 8 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि (Bankim Chandra Chatterjee Death Anniversary 2025) के अवसर पर बंकिम चंद्र चटर्जी के बारे में विस्तार से जानेंगे.
बंकिम चंद्र चटर्जी के बारे में (Bankim Chandra Chatterjee in Hindi)
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (बंकिम चंद्र चटर्जी) को बंगाली साहित्य के सबसे महान लेखकों में से एक माना जाता है. उनकी कहानियों और उपन्यासों ने भारतीय साहित्य को नई दिशा दी और अंग्रेजों के शासन में लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाई. बंकिम का नाम आज भी राष्ट्र प्रेम और भारतीय पहचान का प्रतीक है क्योंकि उनका लिखा वंदे मातरम् गीत स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा बना.
बंकिम चंद्र चटर्जी की शिक्षा (Bankim Chandra Chatterjee Education)
1838 में नैहाटी (पश्चिम बंगाल) में जन्मे बंकिम ने बंगाली और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में शिक्षा ली. उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की और फिर ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी नौकरी भी की. उनकी रचनाएं भारतीय संस्कृति और सोच को उजागर करती हैं। उन्होंने अपने साहित्य से लोगों को जागरूक किया और आजादी की भावना को मजबूती दी।
“वंदे मातरम” गीत किसने लिखा था? (Who wrote Vande Mataram)
“वंदे मातरम” बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनंदमठ का एक गीत है. बाद में यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय गौरव के परिदृश्यों के उपयोग के लिए एक राष्ट्रगान बन गया. मातृभूमि के लिए एक भजन के रूप में, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में ‘वंदे मातरम’ लिखा था.
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्यु व विरासत (Bankim Chandra Chatterjee)
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का निधन 8 अप्रैल 1894 को हुआ और वे ऐसे महान लेखक और विचारक थे, जिन्होंने भारतीय साहित्य और समाज को एक नई दिशा दी. उन्होंने 19वीं सदी में भारत में सांस्कृतिक जागरूकता की शुरुआत की और समाज को आत्मसम्मान व राष्ट्रभक्ति की भावना से जोड़ा. उनकी रचनाएं, खासकर वंदे मातरम्, ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा दी. यह गीत आज भी भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाता है.
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