Dangerous Timezone: दुनिया अजब-गजब तथ्यों से भरी हुई है. यहां देशों के हिसाब से सिर्फ खान-पान और भाषा ही नहीं बल्कि काफी कुछ बदलता है. क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही देश में लोग कहीं सूरज की पहली किरणों का स्वागत कर रहे होते हैं और कहीं अंधेरे में डिनर कर रहे होते हैं? रूस एक ऐसा देश है जहां ऐसा हर दिन होता है! वजह है वहां के 11 अलग-अलग टाइम जोन. आइए समझते हैं यह सिस्टम कितना अनोखा है और भारत से कैसे अलग है.
क्यों हैं रूस में 11 टाइम जोन? (Dangerous Timezone in Hindi)
रिपोर्ट्स और रिसर्च के मुताबिक, रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है और लगभग 9,000 किलोमीटर में फैला हुआ है. इसे भारत से 4-5 गुना बड़ा माना जाता है क्षेत्रफल की दृष्टि से. इसकी सीमाएं यूरोप से लेकर एशिया के सुदूर पूर्व तक जाती हैं. इतने बड़े क्षेत्र में सूरज का उगना और डूबना हर जगह एक जैसा नहीं हो सकता. इसी कारण, रूस ने अपनी सुविधा के लिए अलग-अलग UTC (Coordinated Universal Time) पर आधारित 11 टाइम जोन बनाए हैं. मॉस्को (पश्चिमी रूस): UTC +3 और व्लादिवोस्तोक (पूर्वी रूस): UTC +10 और इसी वजह से जब मॉस्को में सुबह होती है तो व्लादिवोस्तोक में दोपहर ढल रही होती है.
भारत और रूस में क्या है फर्क? (Russia Geography Facts in Hindi)
भारत भी एक विशाल देश है, लेकिन यहां सिर्फ एक ही टाइम जोन (IST – UTC +5:30) लागू होता है. चाहे आप गुजरात में हों या अरुणाचल प्रदेश में, समय सबके लिए एक जैसा चलता है. इससे कई बार पूर्वोत्तर राज्यों में सूरज जल्दी उग जाता है.
टाइम जोन क्यों होते हैं जरूरी? (Russia Dangerous Timezone in Hindi)
टाइम जोन का मुख्य उद्देश्य है कि सूरज की स्थिति के अनुसार समय निर्धारित करना. अगर रूस जैसे विशाल देश में केवल एक ही समय लागू हो तो कहीं लोग सुबह 3 बजे उठेंगे तो कहीं 12 बजे सूरज दिखेगा! इससे जीवनशैली में बहुत परेशानी आ सकती है. टाइम जोन इस असंतुलन को संतुलित करते हैं.
नोट- Dangerous Timezone में रूस और भारत की जानकारी रिसर्च और रिपोर्ट्स के आधार पर दी गई है. इस स्टोरी में प्रभात खबर की टीम ने खुद से कुछ नहीं जोड़ा है.