General Knowledge: भारत खानपान पसंद करने वाला देश है, लेकिन ये सोचने वाली बात है कि जो खाना हम खा रहे हैं, क्या वह शरीर को जरूरी पोषण दे रहा है? यही सवाल तब और गंभीर हो जाता है जब हम देखते हैं कि देश के लाखों छोटे-छोटे बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं.
कितने बच्चे हैं कुपोषण के शिकार?
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 साल से कम उम्र के लगभग 3 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार:
- 35.5% बच्चे बौने (Stunted) हैं यानी उनकी लंबाई उम्र के हिसाब से कम है.
- 32.1% बच्चे कम वजन के हैं.
- और 7.7% वेस्टिंग से ग्रस्त हैं, यानी उनका वजन बहुत कम है.
वहीं पोषण ट्रैकर की रिपोर्ट (जून 2025) बताती है कि 37.07% बच्चे नाटेपन से पीड़ित हैं, जबकि 19.3% का वजन उनकी हाइट के हिसाब से कम है. ये आंकड़े देश के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा रहे हैं.
कैसे बचाएं बच्चों को कुपोषण से?
1. संतुलित और पौष्टिक आहार दें:
6 महीने तक सिर्फ मां का दूध देना चाहिए. इसके बाद पूरक आहार में दाल, चावल, हरी सब्जियां, फल, दूध, अंडे और मूंगफली जैसी चीजें शामिल करें.
2. स्वच्छता पर ध्यान दें:
गंदगी से होने वाले संक्रमण कुपोषण की बड़ी वजह हैं. साफ पानी, हाथ धोने की आदत और स्वच्छ खाना बेहद जरूरी है.
3. समय पर टीकाकरण और जांच:
नियमित स्वास्थ्य जांच और समय पर टीकाकरण से बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सकता है. आंगनवाड़ी केंद्रों पर यह सुविधा मुफ्त में मिलती है.
4. जागरूकता बढ़ाएं:
माता-पिता को पोषण, स्वच्छता और देखभाल के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है. आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
यह भी पढ़ें: SSC Protest: एसएससी परीक्षा में धांधली के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन, नीतू मैम सहित कई शिक्षक और छात्र अरेस्ट