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Point Nemo : उपग्रह अपनी कार्य अवधि पूरी कर कहां होते हैं दफन, क्या है प्रशांत महासागर का ‘प्वाइंट नीमो’

क्या आपने कभी सोचा है कि उपग्रह यदि दुर्घटनाग्रस्त होकर पृथ्वी के उस हिस्से पर गिरे, जहां लोग निवास करते हैं तो क्या होगा? दरअसल, अंतरिक्ष में जो स्पेसक्राफ्ट भेजे गये हैं, उनके नियंत्रित रूप से नष्ट हो कर गिरने की भी एक खास जगह है. इस जगह को 'प्वाइंट नीमो' के नाम से जाना जाता है.

Point Nemo : धरती पर सैटेलाइट को नियंत्रित तरीके से क्रैश करने के लिए प्वाइंट नीमो सबसे उपयुक्त जगह है. यही वो जगह है, जहां उपग्रह दफन होते हैं. यह स्थान हमारी पृथ्वी पर जमीन से किसी दूसरे स्थान की तुलना में सबसे ज्यादा दूर है और वहां पहुंचना इंसान के आमतौर पर आसान नहीं है. दक्षिण प्रशांत महासागर में यह जगह पिटकेयर्न आइलैंड से उत्तर की ओर 2,688 किलोमीटर दूर है. हमारी पृथ्वी के ग्लोब पर अगर इस खास डॉट को देखें तो यह माहेर आइलैंड (अंटार्कटिका) से दक्षिण की तरफ है. यह रहस्यमय स्थान अपनी अत्यंत सुदूरता के कारण काफी दिलचस्प है. इस स्थान के हर दिशा में हजारों किलोमीटर तक कोई भू-भाग नहीं है.

प्रशांत महासागर का है स्पॉट

इसे प्रशांत महासागर का दुर्गम स्थान कहा जाता है. टाइटेनियम फ्यूल टैंक्स और दूसरे हाइ-टेक स्पेस के मलबे के लिए यह समंदर में कब्रिस्तान की तरह है. फ्रैंच उपन्यासकार जूल्स वर्ने के फिक्शनल कैरेक्टर कैप्टन नीमो के सम्मान में इसे स्पेस जंकीज या प्वाइंट नीमो कहा जाता है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी में अंतरिक्ष मलबे के विशेषज्ञ स्टीजन लेमंस के अनुसार, इस जगह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां कोई नहीं रहता है. अगर नियंत्रित तरीके से स्पेसक्राफ्ट की दोबारा एंट्री करायी जाये तो इससे बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां जैविक रूप से भी विविधता नहीं है. ऐसे में इसका डंपिंग ग्राउंड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

300 स्पेसक्राफ्ट हो चुके दफन

अब तक यहां 300 के आसपास स्पेसक्राफ्ट दफन हो चुके हैं. इनमें से ज्यादातर पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद जल चुके थे. अब तक जो सबसे बड़ा ऑब्जेक्ट प्वाइंट नीमो में समाया, वह 2001 में रूस का एमआइआर स्पेस लैब था. इसका वजन 120 टन था. भविष्य में ज्यादातर स्पेसक्राफ्ट इस तरह के पदार्थ से डिजाइन किये जायेंगे कि री-एंट्री पर पूरी तरह से पिघल जाएं. ऐसे में उनके धरती की सतह से टकराने की संभावना लगभग खत्म हो जायेगी. इस दिशा में नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी दोनों काम कर रहे हैं.

रहस्यमय ध्वनि का लगा था पता

वर्ष 1997 में अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने प्वाइंट नीमो से निकलने वाली एक तेज ध्वनि का पता लगाया था. इस रहस्यमय ध्वनि का नाम उन्होंने ब्लूप दिया. यह केवल एनओएए के अवलोकन तक ही सीमित नहीं थी. यह प्रशांत महासागर के विस्तार में गूंजती थी.

फाइंडिग नीमो से नहीं है संबंध

प्वाइंट नीमो के नाम को अक्सर डिज्नी के कैरेक्टर ‘फाइंडिंग नीमो’ से जोड़कर देखा जाता रहा है, जबकि ऐसा है नहीं. प्वाइंट नीमो को इसका नाम ‘ट्वेंटी थाउजेंड लीग्स अंडर द सी’ पुस्तक के कैप्टन नीमो के नाम पर मिला है. लैटिन में इस शब्द का मतलब है ‘कोई आदमी नहीं’, क्योंकि यह एक एकांत जगह है, जो लोगों से बहुत दूर है.

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Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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