World Chess Day 2025: शतरंज केवल एक खेल नहीं, बल्कि रणनीति, धैर्य और मानसिक संतुलन का अद्भुत संगम है. हर साल 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है, जो न केवल इस बौद्धिक खेल की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि इसके ऐतिहासिक पहलुओं की भी याद दिलाता है. क्या आप जानते हैं कि शतरंज का सबसे लंबा मुकाबला चार दिन तक चला था और फिर भी उसका कोई विजेता नहीं निकल पाया?
चार दिन चला सबसे लंबा मुकाबला
साल 1989 में फिलीपींस में आयोजित विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप के दौरान इतिहास का सबसे लंबा शतरंज मैच खेला गया था. यह रोमांचक मुकाबला यूगोस्लाविया के इवान निकोलिक और सर्बिया के गोरान आर्सोविक के बीच हुआ. मैच 269 चालों तक चला और कुल 20 घंटे में समाप्त हुआ, लेकिन बीच-बीच में ब्रेक के कारण यह चार दिन तक चला. आखिर में 50 चालों के नियम के तहत इसे ड्रॉ घोषित कर दिया गया.
क्या है 50-Move Rule?
शतरंज के नियमों के अनुसार, यदि खेल के दौरान लगातार 50 चालों में कोई मोहरा नहीं मारा जाता और न ही कोई प्यादा आगे बढ़ता है, तो मुकाबले को ड्रॉ घोषित कर दिया जाता है. यह नियम अत्यधिक लंबा खेल रोकने के लिए बनाया गया है.
शतरंज से जुड़े रोचक तथ्य
- शतरंज बोर्ड में कुल 64 खाने होते हैं – 32 सफेद और 32 काले.
- हर खिलाड़ी के पास: 1 राजा, 1 वजीर, 2 ऊंट, 2 घोड़े, 2 हाथी और 8 प्यादे होते हैं.
D गुकेश: भारत का गौरव
भारत के D गुकेश आज शतरंज की दुनिया में नया नाम बन चुके हैं. वे सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बने हैं. उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की.
विश्व शतरंज दिवस का इतिहास
20 जुलाई 1924 को फ्रांस के पेरिस में फिडे (FIDE) यानी विश्व शतरंज महासंघ की स्थापना हुई थी. इसके सम्मान में 1966 से 20 जुलाई को World Chess Day मनाया जाने लगा. 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता दी.
शुरुआती टूर्नामेंट
आधुनिक शतरंज का पहला आधिकारिक टूर्नामेंट 1851 में लंदन में आयोजित हुआ था, जिसमें जर्मनी के एडोल्फ एंडरसन विजेता बने थे.
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