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Dhadak 2 Movie Review :दिल को छू जाती है दलित संघर्ष पर बनी यह लव स्टोरी फिल्म

सिद्धांत और तृप्ति डिमरी अभिनीत फिल्म धड़क 2 देखने की प्लानिंग है तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

फिल्म – धड़क 2 

निर्माता – करण जौहर 

निर्देशक – शाजिया इकबाल 

कलाकार – सिद्धांत चतुर्वेदी,तृप्ति डिमरी,सौरभ सचदेव,शाद बिलग्रामी,प्रियंक तिवारी और अन्य 

प्लेटफार्म – सिनेमाघर 

रेटिंग – तीन 
dhadak 2 movie review :साल 2018 में आयी फिल्म धड़क मराठी की सुपरहिट फिल्म सैराट का सीक्वल थी.वह फिल्म ऑनर किलिंग के मुद्दे पर थी.आज रिलीज हुई धड़क 2 साउथ की फिल्म पेरुयम पेरिमल की हिंदी रीमेक है.इस बार इस प्रेम कहानी में ऑनर किलिंग नहीं जातिगत ऊंच नीच की भावना कहानी का मुख्य आधार है.हिंदी सिनेमा में दलित नायक का किरदार और उनका संघर्ष कहानी की धुरी गिनी चुनी फिल्मों में है.वो भी कमर्शियल सिनेमा में यह आंकड़ा और भी कमजोर दिखता है.इसके लिए धड़क 2 की पूरी टीम बधाई की पात्र है.आजादी के 78  साल बाद भी यह मुद्दा सामायिक है.इसकी गवाही कई घटनाएं समय -समय पर देती रहती है.फिल्म का विषय बेहद संवेदनशील है और इसे डील भी उसी तरह से किया गया है, कुछ खामियां भी रह गयी हैं लेकिन फिल्म असरदार ढंग से मैसेज देने में कामयाब रही है.

ये है फिल्म की कहानी 

फिल्म की कहानी नीलेश अहिरवार (सिद्धांत चतुर्वेदी )की है,जो दलित है.बचपन से ही अपनी जाति की वजह से उसने बहुत भेदभाव झेला है. मां को मार खाते हुए देखने से लेकर अपने प्यारे कुत्ते को खो देने तक. जिसकी वजह से पॉलिटेक्निक पढ़ रहे नीलेश को उसकी मां वकील बनने के लिए प्रेरित करती है ताकि वह अपना और अपने समाज के लोगों के अधिकारों को बचा सके. नीलेश का दाखिला एक बड़े लॉ कॉलेज में हो जाता है, लेकिन अंग्रेजी में कमजोर नीलेश को कदम कदम पर इसका एहसास करवाया जाता है कि आरक्षण की वजह से उसे दाखिला मिला है.वरना वह इतने बड़े लॉ कॉलेज के लायक नहीं है. कॉलेज में उसकी दोस्ती ऊंची जाति की विदिशा (तृप्ति डिमरी )से होती है.वह अंग्रेजी सीखने में उसकी मदद करती है,जल्द ही यह दोस्ती प्यार में बदल जाती है, लेकिन यह प्यार विधि के परिवार वालों के आंखों की किरकिरी कुछ इस कदर बन जाता है. वह नीलेश को कदम -कदम पर प्रताड़ित करने के साथ -साथ उसकी जान तक लेने की सुपारी दे देते हैं. नीलेश मरने और लड़ने में से किसे चुनेगा. यही फिल्म की आगे की कहानी है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

फिल्म का विषय दलित संघर्ष पर है. फिल्म शुरुआत से आखिर तक उस संघर्ष को कहानी में जोड़े हुए है.फिल्म के कई दृश्य दिल को छूते है. फिल्म कई अहम मुद्दों का जवाब भी देती है कि क्यों आरक्षण आज़ादी के 78 साल बाद भी जरुरी है. फिल्म दलित संघर्ष के साथ -साथ घर की इज्जत महिलाओं पर थोपे जाने की बात को भी बहुत सशक्त ढंग से कहानी में लाती है, फिल्म के सब प्लॉट्स में सिद्धांत के पिता के किरदार का अपना एक आर्क है.शंकर का प्लाट भी छाप छोड़ता है , जो ऊंची जाति के लोगों की इज्जत बचाने के लिए किसी की जान लेने से भी पीछे नहीं हटता है क्योंकि वह इसे धर्म का काम मानता है.लेकिन कुछ खामियां भी रह गयी हैं. फिल्म का बैकड्रॉप एक लव स्टोरी है.फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले उस तरह से प्रभावी लव स्टोरी परदे पर नहीं ला पायी है, जहां बात लड़ने मरने तक पहुंच जाए. अभिनेत्री तृप्ति डिमरी के किरदार पर थोड़ा और काम करने की जरुरत थी.उनका किरदार थोड़ा अधूरा रह गया है.फिल्म का ट्रीटमेंट रियलिस्टिक है लेकिन ये बात अखरती है कि  फिल्म के मुख्य किरदार लॉ स्टूडेंट्स है,लेकिन फिल्म में किसी भी हिंसा का कानून से जवाब नहीं दिया गया है.फिल्म में सिर्फ एक जगह पर संवाद में जिक्र है कि एससी और एसटी एक्ट लग गया तो गया,लेकिन वह स्क्रीनप्ले में नहीं आ पाया है. फिल्म का गीत संगीत ठीक ठाक है, जबकि धड़क में संगीत पक्ष बहुत मजबूत था.बाकी के पहलू ठीक ठाक हैं. फिल्म में दलित संघर्ष के चिन्हों, निशानों  और कविताओं के जरिये भी दर्शाया गया है.

सिद्धांत ने अपनी भूमिका में डाल दी है जान 

अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी नीलेश के किरदार में अपने परफॉरमेंस से जान डाल दी है.उन्होंने अपने किरदार से जुड़े दर्द, गुस्से,बेबसी को बखूबी जिया है.क्लाइमेक्स वाले सीन में उन्होंने दिल निकालकर रख दिया है.तृप्ति डिमरी भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करती हैं. विपिन शर्मा ने चंद दृश्यों में ही इमोशनल कर गए हैं. जाकिर हुसैन की भी तारीफ बनती है.प्रियांक तिवारी अपनी भूमिका में छाप छोड़ते है. बाकी के किरदार भी अपनी- अपनी  भूमिका के साथ न्याय करते हैं. —

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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