औरंगाबाद कार्यालय. चरण यानी दहशत का एक बाजार. यहां आबादी सैकड़ों की है, लेकिन घरों में सन्नाटा पसरा है. छह दिनों से चरण बाजार बंद है. घरों की महिलाएं या तो अपने मायके चली गयीं या रिश्तेदार के घर. पुरुष भी छिपकर रह रहे हैं. वैसे इन सबों के पीछे अपराधियों का भय नहीं, बल्कि पुलिस का है. आरोप है कि पांच दिन पहले चरण गांव में पुलिस की टीम ने रात के वक्त अपना रौद्र रूप दिखाया था. कई घरों के दरवाजे तोड़ दिये गये. ग्रामीणों का आरोप था कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को पुलिस ने पीटा. महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया. घटना के बाद पुलिस पर कार्रवाई की मांग को लेकर चरण बाजार बंद है. गांव में सन्नाटा पसरा है. ज्ञात हो कि चरण बाजार एक प्रमुख ग्रामीण बाजार है. कई गांवों के लोग इस पर निर्भर है, लेकिन वर्तमान की स्थिति भयावह है. कल तक गुलजार रहने वाला बाजार सन्नाटे के आगोश में समाया हुआ है. बड़ी बात यह है कि जिन पुलिसकर्मियों ने मारपीट की उनपर अब तक कार्रवाई भी नहीं हुई.
ज्ञात हो कि 25 मई को पुलिस पर हमला की घटना हुई थी. इसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी. दर्जनों लोगों को आरोपित बनाया गया. घटना के दो दिन बाद पुलिस की टीम ने आरोपितों के घरों में घुसकर कार्रवाई की. कई लोगों को गिरफ्तार किया गया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कार्रवाई के दौरान उनके साथ मारपीट की.पूर्व सांसद ने पीड़ितों का जाना हाल, कहा-रक्षक ही बना भक्षक
चरण बाजार को छह दिनों से बंद होने और गांव में दहशत का माहौल बनने की जानकारी मिलते ही औरंगाबाद के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह चरण गांव पहुंचे ओर आमलोगों से घटना की जानकारी ली. जिन घरों के दरवाजे तोड़े गये और पुलिस द्वारा जिन लोगों के साथ मारपीट की गयी, उन तमाम लोगों का हाल जाना. पूर्व सांसद ने घटना को क्रूरतापूर्ण व निंदनीय करार दिया. कई महिलाओं ने जख्म दिखाते हुए कहा कि पुलिस ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की. बच्चों तक को नहीं छोड़ा. वैसे अधिकांश घर के लोग फरार थे. पूर्व सांसद ने कहा कि चरण गांव के ग्रामीणों ने धैर्य का परिचय दिया है, अन्यथा जिस तरह से पुलिस ने घर में छापेमारी की, उससे कुछ भी हो सकता था. जहां पुलिस को धैर्य दिखाना चाहिए, वहां जनता ने दिखाया है. अगर पूरा चरण गांव शराब के धंधे में लिप्त है, तो यहां पुलिस और उत्पाद विभाग फेल है. लेकिन, शराब के नाम पर तांडव मचाना पूरी तरह गलत है. सिर्फ एक व्यक्ति के बारे में बताया गया है कि वह शराब का धंधा करता है. ऐसे में एक व्यक्ति के लिए पूरे गांव को सजा देना कहा का न्याय है. घरों में घुसकर दरवाजा तोड़ना, सामानों को क्षति पहुंचाना, बच्चों व महिलाओं के साथ मारपीट करना, पुलिस की करतूत को उजागर करता है. सरकार को बदनाम करने के लिए कुछ लोग साजिश रच रहे है. सोची समझी साजिश के साथ पुलिस ने कार्रवाई की. पुलिस रक्षक नहीं, बल्कि भक्षक होने का प्रमाण दिया है. ऐसे पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इस दौरान जदयू नेता संजीव कुमार सिंह, पैक्स अध्यक्ष निरज सिंह आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है