कसमार, कसमार प्रखंड के मंजूरा स्थित नाइया जेहराथान में शुक्रवार को मंजूरा पंचायत के आदिवासी कुड़मी समाज ने सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया. गांव के नाइया जानकी महतो गुलिआर ने खीर का भोग चढ़ाकर सरना स्थल नाइया जेहराथान में पूजा की. इसके बाद ग्रामीणों ने नाया को यहां से झागड़ हाड़ी से सर पर पानी डालते हुए घर तक पहुंचाया, जहां अपने पुरखों के वास स्थल भुतपिढ़ा के समक्ष नाया को बैठाकर गांव की महिलाओं एवं बच्चियों ने नाया को तेल हल्दी लगाया और उनके सिर पर पानी डालकर आशीर्वाद लिया. इस दौरान नाया ने ग्रामीणों के बीच सारइ (सखुआ) का फूल वितरण किया.
भूमिगत जलस्तर व भविष्य में होने वाली वर्षा का लगाया जाता है पूर्वानुमान
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में चड़क पूजा के बाद सरहुल परब मनाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. नाइया जेहराथान कुड़मी समेत आदिवासियों की गहरी आस्था का केंद्र है. इस परब के माध्यम से भूमिगत जल स्तर का अनुमान एवं भविष्य में होने वाली वर्षा की संभावना का पूर्वानुमान लगाते हैं, जो कि आगामी धान की फसल में काफी लाभदायक होता है. इसके लिए नाइया जेहराथान में सरहुल पूजा के दौरान कांसा के लोटा में पानी भरकर उसे अगले पांच दिनों तक घर में रखा जाता है. पांच दिन के बाद लोटा में विद्यमान जल के स्तर से अनुमान लगाया जाता है कि इस वर्ष के मौसम में वर्षा की स्थिति कैसी रहेगी.ये थे मौजूद
मौके पर भागीरथ बंसरिआर, सदानंद गुलिआर, मिथिलेश महतो केटिआर, प्रवीण केसरिआर, ज्ञानी गुलिआर, कुलेश्वर केसरिआर, पीयूष बंसरिआर, सहदेव झारखंडी, उमेश केसरिआर, अखिलेश केसरिआर, सुभाष हिंदइआर, बालेश्वर पुनअरिआर, मुरली जालबानुआर, शांती गुलिआर आदि मौजूद थेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है