आनंदपुर . मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहे तो किसी भी सामान की वाजिब कीमत मिलती है. व्यापारी संगठन हो या उद्योग व्यापार से जुड़े लोग इसका पूर्वानुमान लगाकर वस्तुओं की खरीदारी करते और लाभ उठाते हैं. लेकिन रात-दिन मेहनत कर अपने खेती करने वाले किसानों को उनकी पैदावार का वाजिब हक नहीं मिल पाता है. जबकि किसानों के हित में सरकार लगातार कदम उठाने का दावा करती है. आनंदपुर प्रखंड क्षेत्र में आम बागवानी लगाने वाले किसान आम की अच्छी पैदावार होने के बावजूद मायूस हैं क्योंकि उन्हें पैदावार का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. न आम के खरीदार मिल रहे हैं न ही बाजार मिल रहे हैं. व्यापारी भी आम की खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. निराश किसान अपनी मायूसी व दर्द किसे सुनायें उन्हें समझ नहीं आ रहा है. पेड़ों पर पक कर तैयार फलों के किसान उचित मूल्य नहीं मिलने से बेच भी नहीं पा रहे हैं.
461 एकड़ में है आम की बागवानी
मनरेगा योजना अंतर्गत वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच झारखंड में 460 एकड़ भूमि पर आम की बागवानी की गयी. वित्तीय वर्ष 2025-26 में 140 एकड़ भूमि पर आम बागवानी लगाने का लक्ष्य रखा गया है. 2020-21 और 2021-22 में 160 एकड़ भूमि पर की गयी आम की बागवानी वाली फसल तैयार हो चुकी है. इसके अलावा पूर्व में निजी रूप से भी आम की बागवानी किसानों ने लगायी थी, जिसके पेड़ फल दे रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में हेमसागर, आम्रपाली, दशहरी, लंगड़ा, मालदह, बम्बइया, अल्फांसों, गुलाबखस, चौसा, मल्लिका, स्वर्णरेखा समेत विभिन्न प्रजाति के आम लगे हैं. पहले स्थानीय बाजार, मनोहरपुर में आम के खरीदार मिल जाते थे या बाहर से भी व्यापारी आते थे. लेकिन इस वर्ष स्थानीय बाजार में आम की काफी कम हो रही है. किसानों की माने तो कच्चे आम बाजार में 20 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिके थे, लेकिन पके हुए आम 20 रुपये प्रति किलो भी खरीदने वाले ग्राहक नहीं मिल रहे हैं.कोट
मेरे बगीचे में बेहतरीन प्रजाति के आम पेड़ हैं. 50 क्विंटल से ज्यादा आम पेड़ पर लगे हैं , लेकिन बाजार नहीं मिल रहा है. सरकार बाजार की व्यवस्था करे. बगान लगाते समय बाजार उपलब्ध कराने का सरकार ने आश्वासन दिया था.मनमसीह एक्का,
भालुडुंगरी, आनंदपुरइस बार आम की पैदावार काफी अच्छी हुई है. पहले दो-तीन माह पूर्व ही व्यापारी आकर बागान की बोली लगाते थे. इसके कारण बाजार की चिंता नहीं होती थी. लेकिन आज सामान्य खरीदार भी नहीं आ रहे हैं
राजा प्रताप रुद्र सिंहदेव,
आनंदपुरबाजार में पके आम का खरीदार नहीं हैं. अगर पता होता कि पके हुए आम का यह हश्र होगा, तो कच्चा आम ही बेच देता या आमसी बनाकर बेचता.सुशील भेंगरा,
ओमड़ाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है