चाईबासा.आदिवासी उद्यमियों और व्यवसायियों की अग्रणी संस्था ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (टिक्की) के तत्वावधान में गुरुवार को मतकमहातु पंचायत भवन में महुआ खाद्य प्रसंस्करण पर कार्यशाला हुई. टिक्की के अध्यक्ष रामेश्वर बिरुवा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में कई तरह के वनोपज काफी मात्रा में मिलते हैं. इन्हें चुनकर या तोड़कर हम सिर्फ बेचने का काम करते हैं. इन खाद्य पदार्थों को अगर हम प्रसंस्कृत कर सही लेबलिंग कर मार्केटिंग करते हुए बेचें, तो कई ज्यादा मुनाफा होगा. देश के कई हिस्सों में ऐसा चल रहा है. हमारे क्षेत्र में मिलने वाले मुनगा (सहजन) और महुआ जैसे खाद्य पदार्थ के प्रसंस्करण के बारे में हम अच्छी तरह से प्रशिक्षण लें. उन सभी खाद्य पदार्थों से व्यंजन या उच्च क्वालिटी के खाद्य पदार्थ बनाना सीखें. इससे हम अपने क्षेत्र में आत्मनिर्भर होंगे.
आयुर्वेदिक दवाओं की विश्वसनीयता बढ़ी : इंद्रानील
कार्यशाला में मुख्य अतिथि आइआइटी मद्रास के शोधकर्ता इतिहासकार इंद्रानील प्रामाणिक ने बताया कि भारत सहित पूरी दुनिया आयुर्वेद की ओर तेजी से बढ़ रही है. लोग अंग्रेजी दवाओं के लंबे दुष्प्रभाव के कारण अब आयुर्वेदिक दवाओं पर विश्वास बढ़ा रहे हैं. मुनगा का आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल होता है. यह कई गंभीर बीमारियों के इलाज में मददगार है. महुआ की विश्वसनीयता बढ़ रही है. महुआ से दवा, अचार, लड्डू , शीतल पेय सहित कई तरह के व्यंजन बनाये जा सकते हैं. कार्यशाला का समापन टिक्की के सचिव अनमोल पिंगुआ के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. कार्यशाला में सोनुआ, चक्रधरपुर, मंझारी, तांतनगर, नोवामुंडी, टोंटो, झींकपानी, सदर चाईबासा, सहित पूर्वी सिंहभूम से प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में रोशन पूर्ति, महेंद्र लागूरी, सुशांत हेंब्रम, आकाश हेंब्रम आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
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