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डायबिटीज रोगियों में टीबी होने की आशंका चार गुना अधिक

यदि शुगर नियंत्रित नहीं है और खांसी, बुखार या वजन में कमी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो टीबी की जांच तुरंत कराना बेहद जरूरी

किशनगंज

मधुमेह यानी डायबिटीज एक गंभीर

यदि शुगर नियंत्रित नहीं है और खांसी, बुखार या वजन में कमी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो टीबी की जांच तुरंत कराना बेहद जरूरी

किशनगंज

मधुमेह यानी डायबिटीज एक गंभीर गैर संचारी रोग है, लेकिन जब यह ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जैसी संक्रामक बीमारी से जुड़ जाये, तो यह जीवन के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में टीबी होने का खतरा चार गुना अधिक होता है. यदि शुगर नियंत्रित नहीं है और खांसी, बुखार या वजन में कमी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो टीबी की जांच तुरंत कराना बेहद जरूरी हो जाता है. जिले में राष्ट्रीय एनपीसीडीसीएस (कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है. यहां एएनएम के माध्यम से डायबिटीज और टीबी की स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि इन बीमारियों का समय पर पता लगाकर समुचित इलाज किया जा सके.

कमजोर इम्यून सिस्टम से टीबी का खतरा

डायबिटीज एक इम्यून डिसऑर्डर है. इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और ऐसे में टीबी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि खासकर 30 वर्ष से अधिक उम्र वाले डायबिटिक रोगियों को टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए. उन्होंने बताया कि जिले में सभी पीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और सदर अस्पताल में दोनों बीमारियों की संयुक्त जांच की सुविधा उपलब्ध है. डायबिटीज के मरीजों में यदि खांसी, बुखार, रात में पसीना आना या वजन में कमी जैसे लक्षण दिखें, तो उन्हें बिना देरी जांच करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्व भर में हर तीन में से एक व्यक्ति के शरीर में टीबी का बैक्टीरिया लेटेंट रूप में मौजूद होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही यह सक्रिय हो जाता है. खासकर एचआइवी पॉजिटिव और डायबिटीज पीड़ितों में यह खतरा अधिक होता है.

सही इलाज जरूरी

जब डायबिटीज का इलाज सही तरीके से नहीं होता है, तब टीबी का खतरा चार गुना हो जाता है. जिला टीबी पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि अस्पतालों में टीबी के लक्षणों के साथ आने वाले हर मरीज की ब्लड शुगर की जांच अनिवार्य कर दी गयी है. कई मरीज ऐसे मिले हैं, जो एक साथ डायबिटीज और टीबी दोनों से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों की पहचान कर उनका उचित इलाज किया जा रहा है.

टीबी एक बैक्टीरियल संक्रमण

डॉ मंजर आलम ने बताया कि टीबी एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है. टीबी का बैक्टीरिया लेटेंट रूप में कई सालों तक शरीर में छिपा रह सकता है और इम्यून सिस्टम कमजोर होते ही सक्रिय हो जाता है.

टीबी के मुख्य जोखिम कारक

डॉ मंजर आलम ने बताया कि धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहना, कुपोषण, डायबिटीज, एचआइवी और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति में टीबी होने की आशंका अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि टीबी का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए समय पर जांच और पूरा इलाज लेना अनिवार्य है. अधूरा इलाज टीबी को और अधिक गंभीर बना देता है.

क्या है डायबिटीज

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया डायबिटीज दो प्रकार की होता है. टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है, जबकि टाइप-2 आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ विकसित होता है और यह जेनेटिक भी हो सकता है.

डायबिटीज के सामान्य लक्षण

डॉ उर्मिला ने बताया कि अधिक प्यास और भूख लगना, थकान रहना, धुंधली दृष्टि, पैरों में झुनझुनी, वजन का तेजी से घटना, बार-बार पेशाब आना डायबिटीज के सामान्य लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि लो और हाई ब्लड शुगर में लक्षण अलग-अलग होते हैं, इसलिए हर व्यक्ति को समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए.

आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित एनपीसीडीसीएस और एनटीईपी जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य न सिर्फ बीमारियों की पहचान करना है, बल्कि उन्हें समय रहते रोकना भी है. खासकर उन मरीजों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो डायबिटीज और टीबी दोनों से पीड़ित हो सकते हैं. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की ओर अपील करते हुए कहा कि डायबिटीज से पीड़ित हैं तो टीबी जांच जरूर कराएं. लक्षण दिखें, तो नजदीकी एचडब्ल्यूसी या पीएचसी जाकर संपर्क करें. इलाज अधूरा न छोड़ें. नियमित जांच और दवा लेना न भूलें. आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा है.

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