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Kaimur News: परिवाद दायर करने के बाद बिजली विभाग ने 43 लाख रुपये का बिल में की कटौती

भभुआ. उपभोक्ता फोरम के न्यायालय में दायर किये गये परिवाद के अनुसार बिजली विभाग ने पांच लाख 26 हजार रुपये के बिजली बिल की जगह उपभोक्ता को 48 लाख 78

भभुआ. उपभोक्ता फोरम के न्यायालय में दायर किये गये परिवाद के अनुसार बिजली विभाग ने पांच लाख 26 हजार रुपये के बिजली बिल की जगह उपभोक्ता को 48 लाख 78 हजार 280 रुपये का बिल थमा दिया. बिजली विभाग के इस कारनामे से त्रस्त होकर उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम कैमूर की अदालत में परिवाद दायर किया. इसके बाद उपभोक्ता फोरम न्यायालय के हस्तक्षेप से बिजली विभाग ने 48 लाख रुपये के बिल में 43 लाख रुपये की कटौती की. इधर, मिली जानकारी के अनुसार, मई 2024 में मेसर्स गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर जितेंद्र कुमार सिंह वार्ड नंबर आठ, भभुआ द्वारा उपभोक्ता फोरम न्यायालय में एक परिवाद दायर किया गया कि परिवादी एक संवेदक है. जिसे पीएचइडी विभाग से जिले के पांच पंचायतों में नल जल योजना का काम कराने का टेंडर वर्ष 2018-19 में लिया था. टेंडर के इकरारनामे के अनुसार संवेदक को योजना का कार्य पूरा होने के बाद भी पांच वर्षों तक इस कार्य पर खर्च हुए बिजली बिल का भुगतान भी करना था, जो मेरे द्वारा ससमय किया जाता रहा. लेकिन, 18 अप्रैल 2024 को विद्युत विभाग ने बकाये बिल के नाम पर 48 लाख 76 हजार 280 रुपये का बिजली बिल मुझे थमा दिया. मैं लाख कहता रहा कि यह बिल गलत है. इसको सुधारा जाए. लेकिन विभाग द्वारा टालमटोल किया जाता रहा. = परिवाद दायर करने के बाद बिजली विभाग ने 43 लाख रुपये का बिल से हुई कटौती इधर, विभाग के टाल मटोल से परेशान होकर उपभोक्ता फोरम के न्यायालय में मई 2024 में परिवाद दायर कराया गया. इसमें प्रबंध निदेशक साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी पटना, बिहार तथा कंपनी के कार्यपालक अभियंता कैमूर को विपक्ष बनाया गया. इधर, इस संबंध में जानकारी देते हुए उपभोक्ता फोरम के सदस्य नरेश चंद द्विवेदी ने बताया कि इस परिवाद के आलोक में उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सह सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार द्वारा विपक्षी को नोटिस तामिला कराया गया. इसके बाद विभाग के अधिवक्ता ने इस मामले को उपभोक्ता फोरम के न्यायालय के अयोग्य बताते हुए खारिज करने का अनुरोध किया. लेकिन, अधिवक्ता के तर्क से असहमत न्यायालय ने इस मामले में विपक्षी को परिवादी के साथ सुलह समझौता से मामले को निबटाने अन्यथा परिवाद को जारी रख कर सुनवाई करने का विकल्प दिया गया. इसके बाद परिवादी और विपक्षी के बीच बैठकर एक समझौता हुआ. जिस आधार पर परिवादी पर बिजली बिल का बकाया 526000 रुपये जमा करने की बात समझौते में आयी, जो पैसा जमा कर परिवादी द्वारा न्यायालय को परिवाद समाप्त करने का अनुरोध किया गया. जिसके आलोक में परिवाद को फरवरी 2025 में समाप्त कर दिया गया है. इन्सेट भभुआ में विद्युत न्यायालय अलग से संचालित करने की उठी थी मांग प्रतिनिधि, भभुआ विद्युत विभाग कैमूर द्वारा बिजली बिल में बिजली खर्च से अधिक अनाप-शनाप राशि बनाकर उपभोक्ताओं को बिजली बिल थमाने के मामले को लेकर तीन माह पहले लगे राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन के अवसर पर जिला जज कैमूर से भभुआ में अलग विद्युत न्यायालय संचालित करने की मांग जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव मंटू पांडेय ने की थी. जिनका कहना था कि बिजली विभाग द्वारा खपत से अधिक मनमाना बिल भेजने व अर्थदंड लगाने के कारण विद्युत उपभोक्ताओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. इस परेशानी को दूर करने के लिए भभुआ में बिजली न्यायालय संचालित कराया जाये. गौरतलब है कि बिजली विभाग पर खपत से अधिक बिजली बिल भेजने का लोग आरोप लगते रहा है. इसका खामियाजा भी कई लोग भोगते रहे हैं. आरोप लगाने वाले बताते हैं कि हम मात्र दो बल्ब और एक पंखा चलाते हैं और बिजली बिल कई हजार रुपये में आता है. बहरहाल. बहरहाल यह सब चल ही रहा है. इसका ताजा उदाहरण संवेदक जितेंद्र कुमार है. मिलाजुला कर हो हल्ला ज्यादा करने पर कुछ लोगों के बिजली बिल में सुधार भी हो जाता है, तो दूसरी तरफ कई लोगों को झक मारकर बिजली विभाग के फर्जी बिल का ही भुगतान करना पड़ता है.

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