प्रतिनिधि, महेशपुर. महेशपुर प्रखंड के बाबुदाहा पंचायत अंतर्गत सिंघना गांव के लोग आज भी शुद्ध पेयजल की सुविधा से वंचित हैं. इस आदिवासी बहुल गांव के लगभग 100 से 150 निवासी वर्षों पुराने एक कुएं पर निर्भर हैं. गर्मी के मौसम में जब यह कुआं सूख जाता है, तब ग्रामीणों को बांसलोई नदी के पानी का सहारा लेना पड़ता है. बरसात के दिनों में सड़क किनारे स्थित जर्जर और गंदे कुएं से पानी लाना इनकी मजबूरी बन जाती है. यही स्थिति गर्मी में भी देखने को मिलती है, जब कुएं के सूख जाने पर ग्रामीण नदी का गंदा पानी पीने को विवश हो जाते हैं. गांव की महिलाएं और पुरुष प्रतिदिन सुबह-सवेरे बाल्टी, पतीला, बर्तन लेकर सड़क किनारे स्थित उस खुले, गंदे कुएं पर पहुंचते हैं, जहां से वे पीने और उपयोग के लिए पानी भरते हैं. लंबे समय से गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बारिश होने के कारण फिलहाल कुएं में थोड़ा पानी है, लेकिन वह भी उपयोग के योग्य नहीं है. पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों ने कई बार संबंधित विभाग से पानी की समुचित व्यवस्था की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
कई बार लगाई गुहार, परंतु नहीं हुआ समस्या का समाधान
स्थानीय ग्रामीण प्रभु सोरेन, शिवजतन मरांडी, नीलमुनी टुडू, सोनामुनी मुर्मू, मुनी किस्कू, सहजती मरांडी, आरेसा सोरेन, ठकरण मरांडी, बुधनी पहाड़िन, फुलमुनी टुडू, सोनामुनी टुडू, रुक्मिणी टुडू ने बताया कि पानी की समस्या के समाधान के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगायी गयी. ग्रामीणों ने कहा कि गांव में चापाकल हैं, लेकिन सब खराब पड़े हुए हैं.
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