प्रतिनिधि, खूंटी. जिले में पिछले दो दिनों में जमकर बारिश हो रही है. जिले में 21 मार्च को 171.9 और 22 मार्च को 192 मिलीमीटर बारिश हुई. वहीं कई जगहों पर ओलावृष्टि भी हुई. बारिश और ओलावृष्टि से जिले में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. खासकर हरी साग-सब्जियों को अधिक नुकसान पहुंचा है. जिले के कर्रा, लोधमा, बारकुली, जरियागढ़, डंडोल, डुंगरा, तोरपा सहित अन्य क्षेत्रों में लगी फसल ओलावृष्टि से बर्बाद हो गये हैं. ओलावृष्टि के कारण तरबूज, फ्रेंचबीन, टमाटर, कद्दू, बंधगोभी की फसलें कहीं-कहीं पूरी तरह से बर्बाद हो गये हैं. वहीं कई जगहों पर गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. तोरपा प्रखंड के चंद्रपुर, डोड़मा के कुलदीप भेंगरा के खेत में लगी तरबूज की खेती ओलावृष्टि में बर्बाद हो गये. कुलदीप ने तीन एकड़ में तरबूज की खेती की है. आत्मा के उप निदेशक अमरेश कुमार ने बताया कि ओलावृष्टि से सैंकड़ों एकड़ में लगी फसल को नुकसान पहुंचने की सूचना है. अभी नुकसान का आकलन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि केवल ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा है. वहीं बारिश से तो फसलों को लाभ ही पहुंचेगा.
आम और लीची को होगा फायदा :
जिले में हुई बारिश से आम और लीची की फसल को काफी फायदा पहुंचने की उम्मीद है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ दीपक राय ने कहा कि इन दिनों में हुई बारिश आम व लीची आदि फलदार पौधों के लिए फायदेमंद है. हल्की बारिश में आम व लीची के मंजर को फलने-फूलने में सहायक होता है. अगर बारिश के साथ ओलावृष्टि होती है तो मंजर झड़ जायेंगे. जिससे आम, लीची की पैदावार कम होगी. उन्होंने मौसम को देखते हुए सेमियालता पर लाह की खेती करने की सलाह दी है. इसके अलावा वर्तमान में लौकी, खीरा, ककड़ी आदि की खेती भी कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है