—- समस्तीपुर मंडल के एक रेल अधिकारी कार में बैठे थे, बूमर गिरते समय जबरन पहला बूमर पार कराया, सामने का बूमर हो गया लॉक
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
रामदयालु स्थित रेलवे गुमटी के पास गुरुवार सुबह एक चौंकाने वाली घटना सामने आयी, जिसने रेलवे सुरक्षा मानदंडों और प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह घटना सुबह उस समय हुई जब गुमटी बंद हो रही थी. एक चार पहिया वाहन कथित तौर पर जबरन ट्रैक के बीच पहुंच गया. जबकि सामने का बूमर पहले ही लॉक हो चुका था. ऐसे में वाहन दोनों बूमर के बीच ट्रैक पर फंस गया. जानकारी के अनुसार, यह वाहन शहर से पटना की ओर जा रहा था और इसमें समस्तीपुर मंडल के एक रेल अधिकारी सवार थे. अधिकारी की चार पहिया वाहन रेलवे ट्रैक पर फंस गयी. जिसके बाद अधिकारी ने कथित तौर पर गेटमैन पर बूमर खोलने के लिए दबाव बनाया और इनकार करने पर उसे नौकरी से निकालने की धमकी भी दी. गेटमैन ने इस पूरे प्रकरण के बारे में एक लिखित शिकायत दी है. जिसमें उसने बूमर नहीं खोलने पर अधिकारी द्वारा दी गई धमकी के बारे में बताया है, जिसमें उसे नौकरी से हटाने की बात भी कही गई थी. बता दें कि हावड़ा-काठगोदाम एक्सप्रेस को पास होना था.
— कुछ देर के लिए तनावपूर्ण हो गया माहौल
वाहन फंसने के तुरंत बाद, अधिकारी गाड़ी से उतर गए और गेटमैन पर बूमर खोलने के लिए दबाव बनाने लगे. सुरक्षा का हवाला देते हुए, गेटमैन ने बूमर खोलने से साफ इनकार कर दिया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गयी. इसी बीच, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवान भी मौके पर पहुंच गए. बताया जा रहा है कि अधिकारी और आरपीएफ व गेटमैन के बीच काफी बहस हुई.
— पीछे करना पड़ा गाड़ी
काफी बहस और मशक्कत के बाद, पीछे का बूमर उठाया गया और रेलवे के अधिकारी को अपनी गाड़ी ट्रैक से पीछे करनी पड़ी. इस घटना की सूचना मिलते ही सोनपुर कंट्रोल से लेकर रेलवे के परिचालन विभाग के अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया. आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार ने बताया कि मामले में पूछताछ के साथ गहन छानबीन की जा रही है. उन्होंने आश्वस्त किया कि जल्द ही इस संदर्भ में एक विस्तृत रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को सौंपी जाएगी.
— बड़ा रेल हादसा टल गया
चौंकाने वाला मामला यह है कि इस बहस के बीच बड़ा हादस हो सकता था, जो टल गया. गुमटी के पास इस अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न होने पर कुछ समय के लिए अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी. गनीमत रही कि समय रहते सूझबूझ से कार को ट्रैक से हटा लिया गया, जिससे कोई ट्रेन आने से पहले ही स्थिति नियंत्रण में आ गयी. जबकि उसमे खुद रेल के अधिकारी बैठे थे.
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