रांची. हरमू नदी यानी रांची की लाइफलाइन. इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए हर सरकार और प्रशासन ने कई नयी योजनाएं बनायीं. एक से बढ़कर एक दावे किये गये, लेकिन आज की तारीख में हरमू नदी जहरीला नाला बनकर रह गयी है. वर्ष 2015 से अब तक हरमू नदी को पुनर्जीवित करने और सुंदरीकरण के लिए 85.43 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
मुंबई की कंपनी ईगल इंफ्रा को मिली थी जिम्मेवारी
मुंबई की कंपनी ईगल इंफ्रा को नदी के सुंदरीकरण और पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी मिली थी. कंपनी को हरमू नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 11.5 एमएलडी की क्षमता वाला आठ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना था. 27 ड्रेनेज पिट का निर्माण कर नदी में स्वच्छ जल का प्रवाह सुनिश्चित करना था. नदी के संरक्षण के लिए पानी के बहाव का रास्ता सुगम बनाना था, लेकिन पुनर्जीवित करने के उलट सौंदर्यीकरण के नाम पर नदी का प्राकृतिक बहाव समाप्त कर दिया गया.
प्राकृतिक जल का रास्ता बंद
हरमू नदी के किनारों पर पत्थर लगाकर प्राकृतिक जल के आने का रास्ता बंद कर दिया गया. ईगल इंफ्रा ने हरमू नदी के सुंदरीकरण का काम विद्या नगर बस्ती से कुछ दूर स्थित करमसोकड़ा नाम की जगह से शुरू किया था. वहां पत्थरों और लोहे की जालियों से नदी के दोनों किनारों को बांधा गया था. शौचालय निर्माण भी किया गया था. लेकिन, अब देखरेख के अभाव में पत्थर अपनी जगह छोड़ चुके हैं. जाला टूट गया है. शौचालय भी इस्तेमाल के लायक नहीं है.
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