रांची. राज्य सरकार अप्रैल महीने से कोयले पर बाजार दर के अनुसार ही रॉयल्टी वसूलेगी. पावर प्लांट हो या बाजार में बेचा जानेवाला कोयला, सब पर एक समान बाजार दर पर ही रॉयल्टी ली जायेगी. राज्य सरकार अन्य प्रतिष्ठानों को दिये जानेवाले कोयले के मूल्य के आधार पर ही पावर प्लांटों को भेजे जानेवाले कोयले पर भी रॉयल्टी दर तय कर, इसकी वसूली करेगी. इसके लिए रॉयल्टी की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. पिछले दिनों कैबिनेट से इसका फैसला हो गया है. खान विभाग ने इसका संकल्प भी जारी कर दिया है, जो अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा. सरकार के इस कदम से लगभग आठ हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त आमदनी केवल कोयले से होगी.
85% कोयला पावर प्लांटों को बेचा जाता है
विभाग के संकल्प के अनुसार, राज्य के खनिज राजस्व का मुख्य स्रोत कोयले से प्राप्त होता है. राज्य में स्थित सरकारी कोयला कंपनियों द्वारा 85 प्रतिशत कोयला पावर सेक्टर के उद्योगों में भेजा जाता है. पावर प्लांटों को दिये जाने वाले कोयले का विक्रय मूल्य कोल इंडिया द्वारा निर्धारित किया जाता है. शेष बचे कोयले का प्रेषण खुले बाजार में नीलामी के माध्यम से कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों द्वारा किया जाता है और इसका विक्रय मूल्य कोल इंडिया द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक होता है. कोयला खनिजों के विक्रय मूल्य पर ही राज्य सरकार को 14 प्रतिशत रॉयल्टी प्राप्त होती है. सरकार ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि 85 प्रतिशत कोयला पावर सेक्टर को भेजा जाता है और उससे यथोचित रॉयल्टी की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए रॉयल्टी की प्रक्रिया में बदलाव किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है