प्रतिनिधि, किशनगंज.
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य किसी भी समाज की बुनियादी जरूरतों में से एक है. गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित और समय पर चिकित्सा सेवा मिलें, यह सुनिश्चित करना सरकार और स्वास्थ्य तंत्र की प्राथमिकता होनी चाहिए. हाल के वर्षों में सरकार द्वारा इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए गये हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम अब ज़मीन पर दिखने लगा है. किशनगंज का सदर अस्पताल इसकी जीवंत मिसाल बन चुका है, हर दिन यहां सैकड़ों की संख्या में नवजातों की किलकारियां गूंज रही है,सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच मातृ-शिशु अस्पताल में कुल 2621 बच्चों का जन्म हुआ, जो संस्थागत प्रसव की ओर बढ़ते रुझान और अस्पताल की बेहतर सेवाओं को दर्शाता है. महीनावार आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी में 669, फरवरी में 609, मार्च में 602,अप्रैल में 421 व मई में 320 बच्चों ने जन्म लिया. इससे पता चलता है कि अब लोग प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल काे पाथमिकता दे रहे हैं, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट आ रही है.
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि सदर अस्पताल की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि अधिकतर प्रसव सामान्य तरीके से सफलतापूर्वक कराये गये. केवल एक-दो मामलों में ही रेफर करने की जरूरत पड़ी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल में जटिल परिस्थितियों से निपटने की पूरी तैयारी मौजूद है. साथ ही जरूरतमंद मामलों में 79 महिलाओं का सीसेक्शन (ऑपरेशन से प्रसव) भी सफलतापूर्वक किया गया, जो अस्पताल की चिकित्सा विशेषज्ञता और संसाधनों की क्षमता को दर्शाता है.सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मीन ने बताया कि अस्पताल में प्रसव से जुड़ी सभी मूलभूत और विशेष सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं. डॉक्टरों, नर्सों और सहयोगी कर्मचारियों की टीम हर समय ड्यूटी पर रहती है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके. उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है, जिससे गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है. यही कारण है कि अब महिलाएं अस्पताल में प्रसव को प्राथमिकता देने लगी हैं.
सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि मातृ-शिशु अस्पताल में सिर्फ प्रसव ही नहीं, बल्कि प्रसवोत्तर देखभाल और नवजात शिशु के टीकाकरण की भी पूरी व्यवस्था है. बच्चों को जन्म के तुरंत बाद बीसीजी, हेपेटाइटिस बी और ओपीवी का टीका लगाया जाता है. वहीं माताओं को आयरन, कैल्शियम और अन्य जरूरी दवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके अलावा अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की सुविधा, अल्ट्रासाउंड, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और शुगर की जांच जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं, ताकि प्रसव से पहले ही संभावित जोखिमों को पहचाना जा सके.सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 24 घंटे एम्बुलेंस सेवा सुनिश्चित की गयी है. आशा कार्यकर्ता समय पर महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में मदद करती हैं, जिससे कई जिंदगियों को सुरक्षित किया जा सका है. प्रसव के बाद महिलाओं को परिवार नियोजन के उपायों के प्रति भी जागरूक किया जाता है.
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