संवाददाता, पटना. सनातन धर्म में वैशाख मास को पुण्य मास माना गया है. इस मास में श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध मुहूर्त माना जाता है. सनातन धर्मावलंबियों के वैशाख मास के प्रमुख पर्व अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया में 30 अप्रैल को रोहिणी नक्षत्र व शोभन योग में मनाया जायेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी सुयोग रहेगा.
दान-पुण्य का महापर्व है अक्षय तृतीया :
आचार्य राकेश झा ने बताया कि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन श्रद्धालु श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी व गौरी की पूजा करेंगे. इस दिन भगवान नारायण व लक्ष्मी माता को कमल पुष्प, श्वेत फूल, कमलगट्टा, इत्र, अभ्रक, खीर का भोग, घी का दीपक आदि से पूजा के बाद श्रीसूक्त, कनकधारा का पाठ करने से अक्षय पुण्य लाभ व वैभव, ऐश्वर्य की कामना जल्द पूर्ण होती है.स्वर्ण की खरीदी से अक्षय लाभ :
झा के अनुसार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग, शुभ योगों के महासंयोग, सर्वसिद्ध मुहूर्त व अबूझ मुहूर्त में स्वर्ण, मोती, रत्न, स्थिर संपत्ति आदि खरीदने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण, रजत, धातु, रत्न व अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना बेहद शुभ होता है. सोने को हमेशा से बहुमूल्य धातु व धन- समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इसलिए अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना गया है. अक्षय तृतीया के दिन ही मां रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु के षष्टम अवतार भगवान परशुराम की प्राकट्योत्सव भी मनाया जायेगा. ————————–अक्षय तृतीया में पूजा व खरीदारी का शुभ मुहूर्ततृतीया तिथि: शाम 6:05 बजे तक रोहिणी नक्षत्र: रात्रि 8:16 बजे तकलाभ-अमृत योग: प्रातः 5:15 बजे से 8:31 बजे तकशुभ योग मुहूर्त: सुबह 10:09 बजे से 11:47 बजे तक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:21 बजे से 12:13 बजे तकचर-लाभ मुहूर्त: शाम 3:03 बजे से 6:19 बजे तकडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है