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Hindi Literature : सेतु प्रकाशन के वार्षिकोत्सव में हुआ पराग मांदले की पुस्तक ‘गांधी के बहाने’ का लोकार्पण

नयी दिल्ली के 'इंडिया इंटरनेशनल सेंटर' में आयोजित सेतु प्रकाशन के वार्षिकोत्सव में लेखक - विचारक पराग मांदले की नयी पुस्तक ‘गांधी के बहाने’ का लोकार्पण हुआ. इस पुस्तक का चयन सेतु पांडुलिपि पुरस्कार योजना -2024 के तहत किया गया था...

Hindi Literature : सेतु प्रकाशन के वार्षिकोत्सव समारोह में 6 दिसंबर, 2024 को पराग मांदले की पुस्तक ‘गांधी के बहाने’ का लोकार्पण किया गया. पराग मांदले की पुस्तक गांधी के बहाने की पांडुलिपि को सेतु पांडुलिपि पुरस्कार योजना -2024 के लिए आयी सौ से भी अधिक पांडुलिपियों में से चुना गया था. इस लोकार्पण में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी, ममता कालिया, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक मधुकर उपाध्याय, पत्रकार अशोक कुमार और अध्यापक – अध्येता सौरभ वाजपेयी समेत काफी तादाद में साहित्य प्रेमियों, शोधकर्ताओं और प्राध्यापकों ने शिरकत की. कार्यक्रम का संचालन स्मिता सिन्हा ने किया.

पराग मांदले को स्मृति चिह्न और मानपत्र देकर किया सम्मानित

कार्यक्रम की शुरुआत पुरस्कृत पुस्तक ‘गांधी के बहाने’ के लोकार्पण से हुई. पराग मांदले को स्मृति चिह्न और मानपत्र देकर सम्मानित किया गया. लोकार्पण के बाद पुरस्कृत पुस्तक पर परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अशोक वाजपेयी ने गांधी से दूर होते समाज की विडंबना पर चिंता जताई. उन्होंने बताया कि गांधी ने प्रार्थना सभा जैसी परंपरा स्थापित की, जिसमें सभी धर्मों की प्रार्थनाएं शामिल थीं और उनके निजी व सामाजिक आचरण में कोई द्वैत नहीं था. गांधी का जीवन नैतिकता और समग्रता का प्रतीक था, जो आज भी प्रासंगिक है.

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‘यह किताब गांधी पर स्त्री-विरोधी होने के आरोपों करती है खारिज’ 

ममता कालिया ने कहा, ‘गांधी के बहाने’ पुस्तक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह रोज-रोज गांधी को खंडित करने की कोशिशों और उनके नाम पर फैलाये जा रहे असत्य व हिंसा का खंडन करती है. पुस्तक बताती है कि गांधी धार्मिक होकर भी सांप्रदायिक नहीं थे और उनके जीवनकाल में ही उनके विरोध की शुरुआत हो गयी थी. यह किताब गांधी पर स्त्री-विरोधी होने के आरोपों को भी खारिज करती है, उनके विचारों और व्यक्तित्व को नयी दृष्टि से समझने का अवसर देती है.’ सौरभ वाजपेयी ने जेएनयू में गांधीवादी होने के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि गांधी से वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों ही विचारधाराओं के लोग परहेज करते रहे हैं, जबकि गांधीवाद आज भी सहिष्णुता और तर्कशीलता की राह दिखाता है. मधुकर उपाध्याय के अनुसार गांधी की आलोचनाओं का जवाब उनकी किताबों में नहीं, बल्कि उनके जीवन में है. वे अपनी आलोचना का स्वयं सक्षम तरीके से उत्तर देते हैं. गांधी प्रासंगिक नहीं, बल्कि अनिवार्य हैं.

सेतु प्रकाशन ने की ‘बालिका शिक्षा निधि योजना’ की घोषणा

तृतीय सेतु पांडुलिपी पुरस्कार से सम्मानित रचनाकार पराग मांदले ने अपने लेखकीय वक्तव्य में कहा कि गांधी का खंडन या समर्थन अप्रासंगिक है,क्योंकि अधिकतर लोग उनके विचारों से प्रेरणा लेते हैं. गांधी केवल अतीत का विषय नहीं, बल्कि शोषण-मुक्त, अहिंसा-आधारित और पर्यावरण-संवेदनशील दुनिया की राह दिखाने वाले मार्गदर्शक हैं. उनकी विचारधारा एक न्यायपूर्ण और टिकाऊ भविष्य का आधार प्रदान करती है. कार्यक्रम के समापन में अमिताभ राय ने सेतु प्रकाशन की स्थापना से अब तक,पिछले पांच साल की प्रगति तथा ‘सेतु’ के उद्देश्यों व प्रतिबद्धताओं के बारे में बताया. इसके साथ ही सेतु प्रकाशन ने  इस मौके पर  ‘बालिका शिक्षा निधि योजना’ के तहत दो बालिकाओं को 7-7 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की.  

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Preeti Singh Parihar
Preeti Singh Parihar
Senior Copywriter, 15 years experience in journalism. Have a good experience in Hindi Literature, Education, Travel & Lifestyle...

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