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साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 के लिए शार्टलिस्ट किताबों में झारखंड के साहित्यकार रणेंद्र की गूंगी रुलाई का कोरस भी शामिल

Sahitya Akademi Award 2024 : झारखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार रणेंद्र के चर्चित उपन्यासों में से एक है गूंगी रुलाई का कोरस. इस उपन्यास में भारतीय समाज के हिंदू और मुस्लिम किस तरह एक साझा इकाई के रूप में रहते थे इसका सचिव वर्णन है.

Sahitya Akademi Award 2024 : साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की घोषणा हो चुकी है. इस वर्ष हिंदी के लिए प्रसिद्ध कवयित्री गगन गिल को उनके काव्य संग्रह ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. इस पुरस्कार के लिए कुल 12 पुस्तकों को शार्टलिस्ट किया गया था, जिसमें देश के नामी-गिरामी साहित्यकारों की पुस्तकें शामिल थीं. झारखंड के लोगों के लिए यह सूची बहुत ही खास है क्योंकि इन 12 पुस्तकों की सूची में एक पुस्तक झारखंड के साहित्यकार रणेंद्र की भी थी. रणेंद्र की किताब ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ को इस सूची में शामिल किया गया था.

साझा संस्कृति के बिखराव पर केंद्रित है उपन्यास

झारखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार रणेंद्र के चर्चित उपन्यासों में से एक है गूंगी रुलाई का कोरस. इस उपन्यास में भारतीय समाज के हिंदू और मुस्लिम किस तरह एक साझा इकाई के रूप में रहते थे इसका सचिव वर्णन है. उपन्यास में समाज पर विभाजन का क्या असर पड़ा और किस तरह साझा संस्कृति का बिखराव हुआ उसका भी चित्रण किया गया है. संस्कृति के बिखराव पर जो रुलाई फूटती है, यह उपन्यास उसी पर केंद्रित है.

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शार्टलिस्ट किताबों की सूची में 12 किताबें शामिल

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 के लिए शार्टलिस्ट किताबों की सूची में उदयन वाजपेयी की कयास, जितेंद्र भाटिया की रूकावट के खेद है, असगर वजाहत की महाबली, मृणाल पांडे की गंध गाथा, गगन गिल कि मैं जबतक आई बाहर, ऋषिकेश सुलभ की दाता पीर, अल्पना मिश्र की अस्थि फूल, लीलाधर मंडलोई की जलावतन, रणेंद्र की गूंगी रुलाई का कोरस, ममता कालिया की जीते जी इलाहाबाद, मदन कश्यप की पनसोखा इंद्रधनुष और अनूप वशिष्ठ की गर्म रोटी के ऊपर नमक-तेल था, शामिल थे.

कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं रणेंद्र

प्रशासनिक सेवा में रहते हुए थी रणेंद्र ने साहित्य की खूब सेवा की है. उनके उपन्यास ग्लोबल गांव के देवता, गायब होता देश और गूंगी रूलाई का कोरस काफी चर्चित हैं. उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, जिसमें प्रेमचंद स्मृति सम्मान, प्रथम विमलादेवी स्मृति सम्मान, सुबर्नशिला सम्मान और श्रीलाल शुक्ल साहित्य सम्मान से भी सम्मानित किया गया है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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