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रामनवमी पर हनुमान चालीसा के पाठ से हैं कई लाभ, यहां देखें

Ram Navami 2025 hanuman chalisa path: जिस तरह से राम जी और हनुमान जी में गहरा संबंध है, ठीक वैसे ही राम नवमी के दिन हनुमान चालीसा के पाठ से शुभफल मिलता है. आइए यहां जानें

Ram Navami 2025, Hanuman Chalisa Path: रामनवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान श्रीराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व चैत्र मास की नवमी तिथि को आता है और पूरे भारत में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा प्राप्त करते हैं. रामनवमी के इस पवित्र अवसर पर हनुमान चालीसा का पाठ विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है.

हनुमान चालीसा का महत्व

हनुमान चालीसा एक भक्तिपूर्ण ग्रंथ है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है. इसमें भगवान हनुमान जी के गुण, पराक्रम, सेवा-भाव और श्रीराम की भक्ति का गहन वर्णन किया गया है. यह चालीस चौपाइयों का संग्रह है, जो भक्तों को जीवन के संकटों से उबारने, साहस, शक्ति और ज्ञान प्रदान करने की अद्वितीय क्षमता रखता है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी दुख समाप्त हो जाते हैं.

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रामनवमी और हनुमान जी का संबंध

रामनवमी केवल भगवान श्रीराम के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उस रामभक्ति की भी प्रतीक है जिसे हनुमान जी ने अपने जीवन में समर्पित किया. हनुमान जी को श्रीराम के सेवक, मित्र और भक्त के रूप में पहचाना जाता है. जब भक्त रामजी की पूजा करते हैं, तब हनुमान जी की उपस्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. यह दिन उन भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ होता है जो श्रीराम और हनुमान जी दोनों की कृपा की कामना करते हैं.
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।

हनुमान चालीसा का पाठ करने की विधि

रामनवमी के अवसर पर, प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान राम तथा हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं. इसके पश्चात, श्रीराम का स्मरण करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें. पाठ के दौरान एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखना आवश्यक है. यदि संभव हो, तो 7, 11 या 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है. अंत में, हनुमान जी को गुड़-चने या तुलसी पत्र अर्पित करें.

हनुमान चालीसा पाठ के लाभ

  • भय नाश: हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है. उनका नाम लेने से भय दूर होता है.
  • शक्ति और साहस: जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आत्मबल मिलता है.
  • एकाग्रता में वृद्धि: नियमित पाठ से चित्त शांत होता है और ध्यान केंद्रित होता है.
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है.
  • कर्मों की शुद्धि: भक्त का मन, वचन और कर्म पवित्र होते हैं.
Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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