Nathan Lyon on Handshake Controversy in Manchester Test: मैनचेस्टर टेस्ट के पांचवें दिन भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ियों के बीच कुछ विवाद देखने को मिले. अंतिम पलों में जब मुकाबला ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, तब भारत के रविंद्र जडेजा (107*) और वॉशिंगटन सुंदर (101*) के बीच 203 रनों की जबरदस्त और नाबाद साझेदारी ने भारत को श्रृंखला में 1-2 पर बनाए रखा. हालांकि दोनों खिलाड़ियों के शतक से पहले इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स भारतीय जोड़ी के पास ड्रॉ की पेशकश करने पहुंचे, लेकिन तब जडेजा 89 और सुंदर 80 रन पर थे, दोनों ने हाथ मिलाने से इनकार कर दिया. मैनचेस्टर में जो नाटकीय दृश्य सामने आए, उन पर ऑस्ट्रेलिया के अनुभवी ऑफ स्पिनर नाथन लायन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
जब जडेजा ने स्टोक्स की बात मानने से इनकार कर दिया, तो इंग्लैंड ने हैरी ब्रूक से गेंदबाजी कराई और जडेजा ने छक्का लगाकर अपना पांचवां टेस्ट शतक पूरा किया. इस दौरान स्टंप माइक पर स्टोक्स की आवाज रिकॉर्ड हुई, “जडू, क्या तुम ब्रूक और डकेट के खिलाफ टेस्ट शतक बनाना चाहते हो?” इसके जवाब में जडेजा ने कहा, “तो क्या करूं? बस उठकर चला जाऊं?” वहीं पास खड़े जैक क्रॉली बोले, “तुम चल सकते हो, बस हाथ मिला लो.” इस पूरे वाकये पर प्रतिक्रिया देते हुए लायन ने द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से कहा, “उन्हें आउट करो. उन्हें शतक मत बनाने दो.”
एशेज में होगा कड़ा मुकाबला- नाथन लियोन
भारत और इंग्लैंड के बीच जारी एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग जैसा बताया जा रहा है. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भी इस सीरीज पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं, क्योंकि चार महीने बाद एशेज सीरीज शुरू होने वाली है. 37 वर्षीय लायन ने इंग्लैंड की पिचों पर खेले जा रहे टेस्ट मुकाबलों का विश्लेषण करते हुए कहा कि एशेज में ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक पिचों की जरूरत है. मैनचेस्टर टेस्ट की पिच पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “यह चुनौती दोनों टीमों के बल्लेबाजों के लिए होनी चाहिए. क्रिकेट ऐसा खेल होना चाहिए जिसमें बल्ले और गेंद के बीच प्रतिस्पर्धा हो. यही वो चीज है जो दर्शक देखना चाहते हैं, न कि वो जो मैनचेस्टर में हुआ.”
लायन की आलोचना सिर्फ पिच तक सीमित नहीं थी, उन्होंने बैजबॉल की भी समीक्षा की. लायन ने कहा, “मुझे लगता है कि बाज़बॉल अब थोड़ा बदल चुका है. अब वे ईमानदारी से मैच जीतने के तरीके तलाश रहे हैं और उतने लापरवाह नहीं हैं. लेकिन यहां की परिस्थितियों में हमेशा बल्ले और गेंद के बीच शानदार मुकाबला होता रहा है, और ऑस्ट्रेलिया की पिचें भी ऐसी ही तैयार की जाती हैं.”
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