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5 मैच, 222 टक्करें: जो रूट जैसे दिग्गज को मोहम्मद सिराज ने पिला दिया पानी

ENG vs IND: एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में सभी पांच मैचों में गेंदबाजी करने वाले एक मात्र भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज हैं. उन्होंने सभी मुकाबले में पूरे जोश के साथ शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने 23 विकेट चटकाए और सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. इन सब से अलग एक बात जो टीम इंडिया के लिए सबसे फायदेमंद रही वह है, सिराज का जो रूट को दबा कर रखना. उन्होंने रूट को कुल 222 गेंद डाली जिनमें 70 फीसदी से ज्यादा गेंदें डॉट रहीं. यह अपने आप में बड़ी बात है.

ENG vs IND: एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी से पहले, भारत को अंदाजा था कि जो रूट उनके लिए बल्ला लेकर दुश्मन बन जाएंगे. अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में चल रहे एक ऐसे खिलाड़ी का घरेलू मैदान पर सामना करना बेहद मुश्किल होता है. रूट की बराबरी करने वाला भारत के पास एक ही गेंदबाज था जसप्रीत बुमराह. बुमराह ने इस बल्लेबाज को नौ बाद आउट किया था. लेकिन ये संघर्ष छोटे रहे, क्योंकि बुमराह केवल तीन ही मैच खेल पाए. सिर्फ दो तेज गेंदबाज ही सभी 5 टेस्ट मैचों में खेल पाए. हालांकि क्रिस वोक्स उनमें से एक थे, लेकिन आखिरी मैच के पहले दिन उनका कंधा उखड़ गया. इससे भारत के मोहम्मद सिराज आखिरी पांचों मैच खेलने वाले इकलौते तेज गेंदबाज बचे. वह और बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा अपनी टीम की हर पारी में गेंदबाजी करने वाले सिर्फ दो गेंदबाज थे. 5 matches 222 clashes Siraj gave a tough time to a legend Joe Root

सीरीज में सबसे अधिक 23 विकेट सिराज ने चटकाए

हर पारी में सिर्फ एक गेंदबाज-बल्लेबाज जोड़ी ही आमने-सामने थी और वह जोड़ी सिराज और रूट की थी. इस सीरीज के दौरान सिराज के जज्बे और उनकी दृढ़ता की खूब तारीफ हुई, क्योंकि उन्होंने पांचों मैच खेले. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सिराज एक बेहद प्रतिभाशाली और कुशल गेंदबाज रहे, जिन्होंने सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट 23 विकेट चटकाए. रूट इस सीरीज में शुभमन गिल के बाद दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे और 500 से ज्यादा रन बनाने वाले इकलौते इंग्लिश बल्लेबाज रहे.

222 गेंद में से 62 गेंद पर चकमा खा गए रूट

दोनों पारियों के आंकड़े देखकर आपको हैरानी होगी. सिराज ने नौ पारियों में रूट को सिर्फ दो बार आउट किया और 65 की औसत से 130 रन बनाए, लेकिन थोड़ा गहराई से जानने पर आपको रूट की मुश्किलों का बेहतर अंदाजा हो जाएगा. दोनों के बीच 222 गेंदों का मुकाबला हुआ, जिनमें से 62 गेंदें या तो चूक गईं या किनारे से टकरा गईं. सिराज के खिलाफ लगभग हर सात गेंदों में से दो बार, थोड़ी सी बदकिस्मती रूट की पारी का अंत कर सकती थी. टेस्ट क्रिकेट में रूट का ज्यादातर खेल स्ट्राइक रोटेट करने की उनकी क्षमता पर टिका है. एक ऐसी क्षमता जो लंबे प्रारूप में गेंदबाजों को आसानी से निराश कर सकती है, जहां वे एक प्रतिद्वंद्वी को लगातार कई गेंदें फेंकना पसंद करते हैं.

सिराज ने रूट को स्ट्राइक रोटेट करने से रोका

रूट का मैदान में गैप में ड्रॉप-एंड-रन करना, यहां तक कि अच्छी गेंदों पर भी, उनकी लाल गेंद वाली बल्लेबाजी की पहचान रही है, लेकिन इस सीरीज में सिराज के लिए अक्सर रूट का ऑफ-स्टंप के बाहर कैच आउट होना कोई असामान्य बात नहीं थी, जिससे उन्हें आसान सिंगल लेने का मौका नहीं मिला. इस सीरीज में सिराज द्वारा रूट को दी गई 70.7 प्रतिशत गेंदें डॉट रहीं. जैसे-जैसे सीरीज आगे बढ़ी, रूट ने खुद को बंधे हुए होने का जवाब अपने ही काउंटर-पंच से दिया. अपने कद के टेस्ट बल्लेबाज के अनुरूप, उन्होंने धीरे-धीरे सिराज को समझना शुरू कर दिया. जब भी गेंदबाज जरा भी लड़खड़ाया, रूट ने हावी होने की कोशिश की. हालांकि, अधिकतर समय सिराज की रूट पर हावी रहे.

मोहम्मद सिराज को इतना खतरनाक क्या बनाता है?

रूट को पूरे समय परेशान करने की सिराज की क्षमता की कुंजी उनका कौशल था. उनके शस्त्रागार में दो प्रमुख हथियार हैं आउटस्विंगर और वॉबल-सीम डिलीवरी. शायद इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि इन दोनों का इस्तेमाल और भी अधिक कुशलता से किया गया था. सिराज ने 2018 में अपनी इनस्विंगर खो दी थी. तब से, वह अपनी वॉबल-सीम गेंद पर निर्भर रहे हैं, जो पिच होने के बाद अंदर की ओर आती है, ताकि अंदरूनी किनारे पर बल्लेबाजों को चुनौती दी जा सके. इस गेंद को इनस्विंगर की तुलना में खेलना ज्यादा मुश्किल होता है, जो गेंदबाज के हाथ से सीधे अंदर की ओर जाती है. सिराज की आउटस्विंगर को दोगुना खतरनाक बनाने वाली बात यह है कि वह गेंद को दाएं हाथ के बल्लेबाज की ओर कोण पर रखते हैं, जिसके कारण वे कभी-कभी थोड़ा गलत लाइन पर खेल सकते हैं. इस सीरीज़ में जब दोनों पहली बार हेडिंग्ले में आमने-सामने हुए थे, तो सिराज ने लगातार पांच आउटस्विंगर फेंकी थीं. पहली, तीसरी और पांचवीं, तीनों ने रूट को बाहरी किनारे से छुआ, लेकिन बाकी दो गेंदें बहुत ज्यादा वाइड होने के कारण पीछे चली गई.

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AmleshNandan Sinha
AmleshNandan Sinha
अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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