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भारतीय क्रिकेट के लिए कैप्टन कूल कैसे हैं सर्वश्रेष्ठ? आंकड़ों में समझिए धोनी की उपलब्धियां

How and Why MS Dhoni is Legend in Indian Cricket: महेंद्र सिंह धोनी ने हर वह ट्रॉफी जीती जो एक क्रिकेटर के लिए संभव है, और आज वह 44वां जन्मदिन मना रहे हैं. दबाव में शांत रहने और अपनी शानदार रणनीतिक क्षमता के लिए पहचाने जाने वाले धोनी ने 2004 से भारत के सबसे चहेते खिलाड़ियों में जगह बनाई. उन्होंने अपने खेल और नेतृत्व से देश और अपने शहर रांची को गौरवपूर्ण योगदान दिया है.

How and Why MS Dhoni is Legend in Indian Cricket: ‘थाला’, कप्तान, आइकन, लीजेंड, ट्रॉफी कलेक्टर और ICC हॉल ऑफ फेमर. एमएस धोनी ने एक क्रिकेटर के करियर में जो भी संभव है, हर वह ट्रॉफी अपने नाम की. आज सोमवार 7 जुलाई को वो अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं. दबाव में बेहद शांत रहने की कला, जिसमें ज्यादातर खिलाड़ी टूट जाते हैं, और अपनी बेजोड़ रणनीतिक सोच के लिए मशहूर, महेंद्र सिंह धोनी ने 2004 में अपने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू से लेकर अब तक भारत के सबसे चहेते क्रिकेटरों में से एक के रूप में स्थापित किया है. खुद को उन्होंने अपने देश और अपने शहर रांची को वो सब कुछ लौटाया है, जो एक खिलाड़ी से अपेक्षित होता है.

धोनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 17,266 रन बनाए, 829 शिकार किए और भारत के लिए सभी फॉर्मेट में 538 मैच खेले. वह न सिर्फ दुनिया के सबसे महान क्रिकेटरों में से एक हैं, बल्कि एक ट्रेंडसेटर भी हैं. ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट के बाद धोनी ऐसे शुरुआती विकेटकीपर-बल्लेबाजों में से एक थे, जिन्होंने दुनिया को दिखाया कि कीपर भी शानदार बल्लेबाज हो सकते हैं. जब विकेटकीपर से सिर्फ कैच और स्टंपिंग की उम्मीद होती थी, तब धोनी ने रन बनाकर इस भूमिका को और ऊंचाई दी और एक टॉप ऑर्डर बल्लेबाज जैसी निरंतरता और भूख दिखाई. उन्होंने युवराज सिंह और सुरेश रैना के साथ मिलकर भारत के मध्यक्रम को बेहद मजबूत बनाया.

वनडे करियर की उपलब्धियां

धोनी का सबसे मजबूत फॉर्मेट वनडे रहा है. उन्होंने 350 वनडे में 10,773 रन बनाए, 50.57 की औसत से. इस दौरान उन्होंने 10 शतक और 73 अर्धशतक लगाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 183* रहा. वह भारत के छठे सबसे बड़े वनडे रन स्कोरर हैं. सबसे खास बात यह रही कि धोनी ने यह रन अधिकतर निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए बनाए और फिर भी उनका औसत 50 से ऊपर रहा, जो उन्हें और भी खास बनाता है. कप्तान के रूप में धोनी ने भारत के लिए 200 वनडे मैचों में कप्तानी की, जिनमें से 110 में जीत, 74 में हार मिली. जिनमें 5 मैच टाई रहे और 11 बिना नतीजे के समाप्त हुए. वनडे में उनकी जीत का प्रतिशत 55 रहा. उन्होंने भारत को 2011 का आईसीसी वर्ल्ड कप और 2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जिताई. 

टी20 के बॉस रहे धोनी

चेन्नई सुपर किंग्स के “थाला” (नेता) के नाम से मशहूर धोनी ने भारत के लिए 98 T20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें 1,617 रन बनाए, इस दौरान उनका औसत 37.60 और स्ट्राइक रेट 126.13 की रही. उन्होंने इस फॉर्मेट में 56 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ दो अर्धशतक लगाए. वह भारत के 2007 टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाले कप्तान थे. उन्होंने भारत के लिए 72 T20I में कप्तानी की, जिनमें से 41 में जीत, 28 में हार, 1 टाई और 2 मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला. टी20 में उनकी जीत का प्रतिशत 56.94 रहा.

टेस्ट क्रिकेट में गाड़ा झंडा

लंबे फॉर्मेट यानी टेस्ट क्रिकेट में धोनी ने भारत के लिए 90 मैच खेले, जिसमें 4,876 रन बनाए, औसत 38.09 का रहा. उन्होंने 6 शतक और 33 अर्धशतक लगाए, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 224 रहा. वह भारत के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 14वें खिलाड़ी हैं. टेस्ट कप्तान के तौर पर उन्होंने 60 मैचों में टीम की अगुवाई की, जिनमें से 27 में जीत, 18 में हार और 15 ड्रॉ रहे. टेस्ट में उनकी जीत का प्रतिशत 45.00 रहा, जो उन्हें भारत के सबसे सफल कप्तानों में शुमार करता है. उन्होंने भारत को टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंचाया.
वह एकमात्र भारतीय कप्तान हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में क्लीन स्वीप (4-0) किया, यह कारनामा उन्होंने 2010-11 और 2012-13 सीरीज में किया.

आईपीएल और सीएसके एक दूसरे के पर्याय बने

फ्रेंचाइजी क्रिकेट में भी धोनी का नाम बेहद प्रतिष्ठित है. आईपीएल इतिहास में वह छठे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. उनका रिकॉर्ड 278 मैचों में 5,439 रन, 38.30 की औसत, 137 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट और 24 अर्धशतक इस बात की पुरजोर तस्दीक करते हैं. उन्होंने CSK के साथ 5 आईपीएल खिताब और 2 चैंपियंस लीग टी20 खिताब जीते, जिसने CSK को दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय फ्रेंचाइजियों में शामिल किया.

मैदान से लेकर लोगों के दिलों तक छाए हैं धोनी

धोनी के मैदान पर कदम रखते ही पूरा स्टेडियम ‘धोनी-धोनी’ के नारों से गूंज उठता है, चाहे वह ड्रेसिंग रूम में हों या मैदान पर बल्लेबाजी की तैयारी कर रहे हों. जब 2004 में 23 साल के धोनी ने भारतीय टीम में कदम रखा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह युवा खिलाड़ी आगे जाकर क्रिकेट की दुनिया में इतने ऊंचे मुकाम तक पहुंचेगा. उनकी फुर्तीली स्टंपिंग, सटीक कैचिंग, लाजवाब हेलिकॉप्टर शॉट और लंबे छक्के, ये सब आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और रोमांच का विषय बने रहेंगे.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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