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Ind vs Aus: सेमीफाइनल में हाथ पर काली पट्टी बांधकर मैदान पर क्यों उतरी भारतीय टीम, सामने आई बड़ी वजह

Ind vs Aus: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय टीम काली पट्टी पहनकर दुबई स्टेडियम में खेलने उतरी है.

Ind vs Aus: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का पहला सेमीफाइनल मुकाबला दुबई के इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जा रहा है. इस मैच में कंगारुओं ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर रही है. इस मैच में एक खास दिखा कि टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी काली पट्टी पहनकर मैदान पर उतरे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत के सभी खिलाड़ी आखिरकार क्यों काली पट्टी पहनकर मैदान पर उतरे हैं.

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क्यों काली पट्टी पहनी है भारतीय टीम?

दरअसल, भारत में घरेलू क्रिकेट खेल रहे पूर्व खिलाड़ी पद्माकर शिवालकर का मंगलवार का निधन हो गया था. उन्हीं के निधन पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने शोक व्यक्त किया है. उन्हीं के सम्मान में भारतीय टीम ने आज काले रंग की पट्टी अपने हाथ में पहन कर मैदान में उतरी है. हालांकि, शिवालकर ने कभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम नहीं रखा, लेकिन उनका योगदान रणजी ट्रॉफी में असाधारण था. खासकर मुंबई (पूर्व में बॉम्बे) के लिए उनका प्रदर्शन अच्छा था. उनके खेल कौशल और समर्पण ने भारतीय घरेलू क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, और उनकी यादें क्रिकेट जगत में हमेशा जीवित रहेंगी. शिवालकर के योगदान को हमेशा सम्मान और आदर से याद किया जाएगा.

शिवालकर का क्रिकेट करियर

शिवालकर का जन्म 1939 में हुआ था, और वह एक महान भारतीय क्रिकेटर थे, जिनका योगदान भारतीय घरेलू क्रिकेट में असाधारण था. वह विशेष रूप से मुंबई क्रिकेट के लिए अपने कार्यकाल के दौरान प्रसिद्ध थे. उनके प्रदर्शन ने रणजी ट्रॉफी और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में महान खिलाड़ियों की सूची में उनका नाम दर्ज कराया. हालांकि उन्होंने कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनकी भूमिका और योगदान अद्वितीय था. प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट यात्रा:शिवालकर की क्रिकेट यात्रा मुंबई के घरेलू क्रिकेट में शुरू हुई, जहां उन्होंने अपनी गेंदबाजी की छाप छोड़ी. मुख्य तौर पर वे लेग स्पिन और गुगली करते थे, जोकि बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता था. उन्होंने अपनी गेंदबाजी से रणजी ट्रॉफी के कई मुकाबलों में अहम योगदान दिया. 

पद्माकर शिवालकर का क्रिकेट करियर

शिवालकर ने कुल 124 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 589 विकेट लिए. उनके विकेट लेने की औसत 19.69 थी, जो गेंदबाजों के लिए एक शानदार आंकड़ा है. ये उनकी निरंतरता और गेंदबाजी कौशल का परिचायक है. उनका सबसे यादगार और ऐतिहासिक प्रदर्शन 1972-73 रणजी ट्रॉफी फाइनल में देखने को मिला. इस फाइनल मुकाबले में शिवालकर ने अपनी गेंदबाजी का बेमिसाल प्रदर्शन किया. उन्होंने 16 रन देकर 8 विकेट और फिर 18 रन देकर 5 विकेट चटकाए, जिससे मुंबई को तमिलनाडु पर बड़ी जीत हासिल हुई. इस अद्वितीय प्रदर्शन ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक महान स्पिनर के रूप में स्थापित कर दिया. 

उपलब्धियां और सम्मान

शिवालकर का नाम भारतीय क्रिकेट में उन दुर्लभ खिलाड़ियों में गिना जाता है, जिनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हालांकि वह कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने में सफल नहीं हुए, लेकिन उनकी सफलता और प्रभाव ने उन्हें रणजी ट्रॉफी और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रतिष्ठित बना दिया. उनका करियर, उनकी अनुशासन, और उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें क्रिकेट जगत में एक सम्मानजनक स्थान दिलवाया. उनकी गेंदबाजी की निपुणता और लगातार अच्छे प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी, और वह भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में एक महान हस्ती बने.

इनपुट- आशीष राज

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Shashank Baranwal
Shashank Baranwal
जीवन का ज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, पेशे का ज्ञान MCU, भोपाल से. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के नेशनल डेस्क पर कार्य कर रहा हूँ. राजनीति पढ़ने, देखने और समझने का सिलसिला जारी है. खेल और लाइफस्टाइल की खबरें लिखने में भी दिलचस्पी है.

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