IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. पांचवां और अंतिम मुकाबला 31 जुलाई से लंदन के ऐतिहासिक द ओवल मैदान पर खेला जाएगा. यह मुकाबला केवल सीरीज का आखिरी टेस्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय गेंदबाजों के लिए एक खास मौके की तरह है. इस मैदान पर पिछले 23 वर्षों से किसी भारतीय गेंदबाज ने टेस्ट मैच की एक पारी में पांच विकेट नहीं झटके हैं. ऐसे में इस बार भारत के पास यह सूखा खत्म करने का बेहतरीन मौका है.
ओवल की पिच पारंपरिक रूप से तेज गेंदबाजों और स्पिनर्स दोनों के लिए मददगार मानी जाती है. लेकिन भारतीय गेंदबाज इस मैदान पर लगातार असर छोड़ने में नाकाम रहे हैं. आखिरी बार साल 2002 में दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने यहां टेस्ट की एक पारी में पांच विकेट लिए थे. उसके बाद से अब तक कई नामी भारतीय गेंदबाजों ने यहां गेंदबाज़ी की, लेकिन कोई भी ‘फाइव विकेट हॉल’ लेने में सफल नहीं हो सका.
अब जबकि टीम इंडिया के पास जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, रवींद्र जडेजा, अर्शदीप सिंह और आकाश दीप जैसे काबिल गेंदबाज हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि यह सूखा इस बार खत्म होगा. साथ ही, भारत को टेस्ट सीरीज में बने रहने के लिए इस मैच को जीतना बेहद जरूरी है, क्योंकि फिलहाल वह 1-2 से पीछे चल रहा है.
पांच विकेट हॉल लेने वाले भारतीय गेंदबाज
भारतीय क्रिकेट इतिहास में अब तक सिर्फ चार गेंदबाज ऐसे रहे हैं जिन्होंने केनिंग्टन ओवल के मैदान पर टेस्ट मैच की एक पारी में पांच या उससे अधिक विकेट चटकाए हैं. सबसे पहले यह कारनामा किया था मोहम्मद निसार ने किया. उन्होंने 1936 में इंग्लैंड के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की थी. इसके बाद 1959 में सुरेंद्र नाथ ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया. तीसरे भारतीय गेंदबाज बने भगवत चंद्रशेखर, जिन्होंने ओवल में शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच विकेट झटके. इसके बाद, 2002 में हरभजन सिंह ने पांच विकेट लेकर इस सूची में अपना नाम दर्ज कराया.
चौंकाने वाली बात यह है कि इन चार गेंदबाजों के बाद कोई भी भारतीय खिलाड़ी इस मैदान पर पारी में पांच विकेट लेने में सफल नहीं हुआ है. इस दौरान भारत ने ओवल में कई टेस्ट मैच खेले हैं, और कई बार यहां जीत के करीब भी पहुंचा है, लेकिन गेंदबाजों का व्यक्तिगत प्रदर्शन उस स्तर तक नहीं पहुंच सका जिसे ‘फाइव विकेट हॉल’ कहा जाता है.
इस बार टीम के पास बुमराह और सिराज जैसे विकेट टेकिंग गेंदबाज हैं, जो नई और पुरानी दोनों गेंद से प्रभावी साबित हो सकते हैं. साथ ही जडेजा और अर्शदीप जैसे गेंदबाज अपनी विविधता से बल्लेबाजों को चौंका सकते हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई भारतीय गेंदबाज इस ऐतिहासिक सूची में पांचवां नाम जोड़ने में सफल होता है या नहीं.
जडेजा का ओवल में शानदार रिकॉर्ड
जहां तक इस मैदान पर सर्वाधिक विकेट लेने की बात है, तो भारतीयों में सबसे ऊपर नाम आता है रवींद्र जडेजा का. जडेजा अब तक ओवल में तीन टेस्ट मैच खेल चुके हैं और इस दौरान उन्होंने 15 विकेट चटकाए हैं. उनकी गेंदबाजी में विविधता, लाइन-लेंथ की सटीकता और बल्लेबाजों को फंसाने की कला उन्हें इस मैदान पर प्रभावशाली बनाती है. उनके बाद इस सूची में हैं कपिल देव, जिन्होंने इस मैदान पर तीन टेस्ट में 10 विकेट लिए थे.
इसके बाद आठ विकेट लेने वाले गेंदबाजों में शामिल हैं– भगवत चंद्रशेखर, इशांत शर्मा, एस श्रीसंत, एस वेंकटराघवन और उमेश यादव. ये सभी गेंदबाज कभी न कभी ओवल में भारत के लिए निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं, लेकिन फिर भी ‘फाइव विकेट हॉल’ जैसी उपलब्धि हासिल करने से चूक गए.
इस बार भारत के पास मजबूत गेंदबाजी आक्रमण है. बुमराह जहां अपनी यॉर्कर और रिवर्स स्विंग से इंग्लिश बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं, वहीं सिराज नई गेंद से गहरा असर डाल सकते हैं. वहीं, रवींद्र जडेजा यदि लंबी स्पैल डालते हैं, तो एक बार फिर वह ओवल में भारत के लिए गेमचेंजर बन सकते हैं. साथ ही, युवा गेंदबाज आकाश दीप और अर्शदीप सिंह भी मौके के इंतजार में हैं.
टीम इंडिया के गेंदबाजों के लिए यह टेस्ट न केवल सीरीज में बराबरी हासिल करने का मौका होगा, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे ‘पांच विकेट हॉल’ के सूखे को भी समाप्त करने का अवसर है. अगर ऐसा होता है, तो यह भारत के गेंदबाजी इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ देगा.
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