IND vs ENG, Joe Root on Dukes Balls and Suggestion for Team India: इंग्लैंड और भारत के बीच चल रही एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के दौरान ड्यूक्स बॉल के प्रदर्शन पर खिलाड़ियों की ओर से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. तीसरे टेस्ट के दौरान यह बहस और भी बढ़ती हुई दिखाई दी. लॉर्ड्स टेस्ट में भारतीय कप्तान शुभमन गिल को बार-बार अंपायर से गेंद की जांच करवाते हुए देखा गया. जसप्रीत बुमराह ने दिन के खेल में गेंद से अपनी पहली 14 गेंदों में तीन विकेट ले लिए, लेकिन इसके बाद स्मिथ और ब्रायडन कार्स की जोड़ी के खिलाफ भारत को कोई विकेट नहीं मिला. भारत ने गेंद बदलने की मांग की. लेकिन शुभमन गिल ने दूसरी नई गेंद को लेकर असंतोष जताया, जिसे केवल 10.3 ओवर इस्तेमाल करने के बाद ही बदलना पड़ा. पहले बदलाव के केवल 48 गेंद बाद गेंद को फिर से बदला गया. इस घटनाक्रम ने ड्यूक्स गेंद को लेकर पहले से चली आ रही आलोचना को और हवा दी, जो पिछले पांच वर्षों से इसकी जल्दी नरम होने और आकार खोने की समस्या के चलते चर्चा में रही है. इस जो रूट ने भारतीय खिलाड़ियों पर तंज कसा और साथ में एक सलाह भी दी.
अंपायरों को अक्सर गेंद को गेज (माप उपकरण) में डालकर जांच करते देखा गया. कभी गेंद को खारिज कर दिया गया तो कभी बदल दिया गया. यह प्रक्रिया पहले सत्र के दौरान कई बार दोहराई गई, जिसकी मुख्य वजह थी गेंद का जल्दी अपना आकार खो देना. सिर्फ दूसरे दिन की सुबह ही ड्यूक्स बॉल को दो बार बदला गया. यह मुद्दा लॉर्ड्स टेस्ट से पहले ही उठ चुका था, जब कप्तान शुभमन गिल और विकेटकीपर ऋषभ पंत ने ड्यूक्स बॉल के जल्दी नरम हो जाने और अपना आकार खो देने को लेकर चिंता जताई थी.
बॉल विवाद के बीच इंग्लैंड के बल्लेबाज जो रूट का मानना है कि हर परिस्थिति में ढलना भी खेल का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि गेंदें कैसे बनाई जाती हैं, लेकिन इतना जानता हूं कि ये हाथ से बनती हैं, इसलिए दो गेंदें बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकतीं. इस गर्मी और धूप के मौसम में हमारे लिए यह एक अपवाद जैसा रहा है. इतनी सख्त पिच और तेज आउटफील्ड की आदत नहीं है.”
भारत को ढल जाना चाहिए
जो रूट ने भारत पर हल्का तंज कसते हुए कहा, “गर्मियों में मौसम गर्म रहा है, पिचें सख्त हैं. कोई दो गेंदें एक जैसी नहीं होतीं. अगर गेंद का आकार बिगड़ता है, तो उसे बदला जाना चाहिए लेकिन इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. यह खेल को एक अलग आयाम देता है और खिलाड़ी को इतना कुशल होना चाहिए कि वह इन बदलावों के साथ खुद को ढाल सके. चाहे गेंद स्विंग करना बंद कर दे, शुरू कर दे या और अधिक मूवमेंट करने लगे. आपको परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना सीखना चाहिए, न कि बार-बार गेंद बदलवाने की मांग करनी चाहिए.”
रूट ने न केवल शानदार शतक लगाया बल्कि एक रिकॉर्डतोड़ कैच भी लपका. उनके साथ जोफ्रा आर्चर ने भी बेहतरीन वापसी करते हुए विकेट चटकाया और इंग्लैंड ने दूसरे दिन का खेल पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया. इंग्लैंड ने पहली पारी में 387 रन बनाए, जिसके जवाब में भारत ने दिन का अंत 145/3 के स्कोर पर किया और वह अभी भी 242 रन पीछे है.
जो रूट का सुझाव: 80 ओवर में हर टीम को तीन बार गेंद बदलने की अनुमति मिले
तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद इंग्लैंड के पूर्व कप्तान जो रूट ने ड्यूक्स गेंद को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच एक नया सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि हर टीम को हर 80 ओवर में अधिकतम तीन बार गेंद बदलने की अनुमति मिलनी चाहिए, ताकि बार-बार गेंद बदलने से होने वाली निराशा को कम किया जा सके. रूट ने कहा, “मेरे हिसाब से अगर टीमें बार-बार गेंद बदलवाना चाहती हैं, तो हर 80 ओवर में उन्हें तीन चैलेंज दिए जाएं, बस उतने ही मौके मिलें. लेकिन इस शर्त के साथ कि गेंद की जाँच के लिए जो रिंग इस्तेमाल होती है, उसका आकार सही हो न ज्यादा बड़ा, न छोटा.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह एक तरह का समझौता हो सकता है, जिससे सारी जिम्मेदारी गेंद निर्माता पर न डाली जाए. उन्होंने कहा, “कभी-कभी ऐसा हो जाता है, लेकिन आप हर बार गेंद बदलवाते रहेंगे तो समय भी बर्बाद होगा और खेल की गति भी धीमी होगी,”
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